शहडोल। जिले में कुपोषण के आंकड़े बेहद चौकाने वाले है. जिले भर में 18 हजार 221 बच्चे कुपोषण का शिकार है. जबकि 2 हजार 381 बच्चें अति कुपोषित हैं. कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ने के लिये जगह-जगह आंगनबाड़ी मिनी आंगनबाड़ी चल रही है. जहां गांव-गांव से लेकर गली मोहल्ले तक के बच्चों पर नज़र रखी जाती है. लेकिन फिर भी जिले भर में कुपोषित बच्चों की संख्या घटने की बजाए लगातार बढ़ती जा रही है.
शहडोल जिले में तेजी से पैर पसार रहा कुपोषण, आखिर कब मिलेगी इस कलंक से मुक्ति? - शहडोल जिले में पैर पसारता कुपोषण
कुपोषण मध्य प्रदेश को दीमक की तरह लग चुका है. प्रदेश का लगभग हर जिला कुपोषण का दंश झेल रहा है. कुछ ऐसे ही हालात आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के भी है. जहां कुपोषण तेजी से पैर पसारता जा रहा है.
शहडोल जिले में 6 एनआरसी केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें शहडोल, बुढ़ार, सिंहपुर, गोपापारू, जयसिंहनगर, ब्यौहारी शामिल हैं. अगर इन एनआरसी केंद्र की बात की जाए तो यहां कुपोषित बच्चों की भरमार है. ऐसा हम नहीं खुद जिले के महिला एवं अधिकारी कह रहे हैं. हालांकि महिला एवं बाल विकास अधिकारी का कहना है कि कुपोषण एक बहुआयामी समस्या है. जिसे एक योजना की तरह ट्रीट करके ही खत्म किया जा सकता. शहडोल जिले में पूरा सरकारी अमला कुपोषण से जंग लड़ रहा है.
अधिकारी भले ही कुछ भी कहे. लेकिन जिले के कुपोषित बच्चों को पोषित करने के सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाएं न काफी साबित हो रही है. ऐसे में सरकारों को कुपोषण के कलंक को मिटाने की जिम्मेदारी तो लेनी ही होगी. ताकि देश का भविष्य कुपोषण के कलंक से मुक्त हो सके.