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Mahashivratri 2023: इस तरह से करें चार प्रहर की पूजा, मिलता है विशेष फल, खुलते हैं भाग्य के द्वार, होता है धन का आगमन

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Published : Feb 7, 2023, 10:58 PM IST

इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 18 फरवरी 2023 को रखा जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था. जानें क्या है इस दिन का विशेष महत्व. चार प्रहर की पूजा करने से विशेष फल मिलता है.

mahashivratri 2023
महाशिवरात्रि 2023

महाशिवरात्रि 2023

शहडोल।महाशिवरात्रि को लेकर विशेष तैयारियां अक्सर की जाती है. बहुत पहले से ये तैयारियां भी शुरू हो जाती है. इस बार भी महाशिवरात्रि को लेकर जगह-जगह तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. शिवालयों में शिव भक्त इसकी शुरुआत कर चुके हैं. इस साल महाशिवरात्रि कब पड़ रही है, किस मुहूर्त पर पड़ रही है और महाशिवरात्रि में चार प्रहर की पूजा कैसे की जाती है, क्या इसका विशेष महत्व होता है, क्या कुछ इस चार प्रहर की पूजा में करना चाहिए और इसके क्या क्या लाभ होते हैं, जानिए ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री से.

महाशिवरात्रि कब:ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, इस बार महाशिवरात्रि 18 फरवरी दिन शनिवार को पड़ रही है. इसकी तैयारी में शिव भक्त जुट चुके हैं, जिसका नजारा हर शिवालय में देखने को मिल सकता है.

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महाशिवरात्रि में व्रत का विशेष महत्व:ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. शास्त्रों में वर्णन है कि, अगर कोई व्यक्ति एक साल तक विधि विधान से त्रयोदशी का व्रत कर ले या फिर महाशिवरात्रि के दिन व्रत करके विधि विधान से पूजा पाठ कर लें, तो दोनों का बराबर फल मिलता है. महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा की जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ और माता गौरी का विवाह हुआ था इसीलिए यह विशेष पर्व मनाया जाता है.

चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व:महाशिवरात्रि का जो पर्व है विशेष रूप से रात्रि के समय मनाने का इसका विधान है. सबसे पहले महाशिवरात्रि के दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान ध्यान करके शिव जी का अभिषेक और पूजन करें और व्रत रखें. प्रथम प्रहर की पूजा शाम होते ही शुरू की जाती है. शाम को 6 से 9 बजे तक प्रथम प्रहर की पूजा होती है, जिसमें फलों का शिव जी को भोग लगाएं और शिव अभिषेक करें. फिर रात 9 से 12 के बीच में द्वितीय प्रहर की पूजा होती है, इसमें शिव जी का अभिषेक करें. बाबा भोलेनाथ और माता गौरी के विवाह का आयोजन करें. इसमें जितने अच्छे प्रकार के मिष्ठान, पकवान हैं उसका भोग लगाएं. फिर रात में 12 बजे से 3 बजे के बीच में तीसरे प्रहर की पूजा होती है. तीसरे प्रहर की पूजा में जैसे खीर, मालपुआ, मीठा जितने तरह के मिल जाएं उनका भोग लगाएं. शिव जी का अभिषेक करें और मंगल गीत का गायन करें. फिर आखिर में चौथे प्रहर की पूजा की जाती है. ये पूजा तड़के सुबह 3 बजे से लेकर शाम 6 बजे के बीच में की जाती है. इसमें एक बार फिर से शिव अभिषेक करें, बेलपत्र चढ़ाएं और सभी प्रकार के पदार्थ जैसे फल और धतूरा यह सब समर्पित कर के वहां भोग लगाएं. इसके बाद आरती करें, हवन करें और फिर शिव-पार्वती का वहीं पर विसर्जन करें. इस तरह से पूजन का विधान है. महाशिवरात्रि के दिन विशेष रूप से शिव-पार्वती की मूर्ति रखकर विवाह जैसे कार्यक्रम करें.

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चार प्रहर की पूजा से मिलता है विशेष फल:ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, जो व्यक्ति शिव-पार्वती की चार प्रहर की पूजा करते हैं उन्हें कई फल मिलते हैं. चार प्रहर की पूजा करने से जो अविवाहित लड़कियां रहती हैं, उनका विवाह योग बनता है. जिनका विवाह हो चुका है उनके घर में सुखद वातावरण बनता है. उनके घरों में पुत्र या पुत्री का जन्म होता है. उनका जीवन सुख में रहता है. तीसरे लाभ में घर में खुशियां बनी रहती है. बरक्कत होती है, धन का आगमन होता है. चौथा लाभ, उस घर में रोग, व्याधि कोई भी अलाय-बलाय का आगमन नहीं होता है. पांचवा लाभ ये होता है कि, उस घर में शांति के साथ-साथ सभी निरोगी रहते हैं.

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