शहडोल। महाशिवरात्रि के विशेष पर्व में शहडोल जिले के ऐतिहासिक विराट शिव मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा रहता है. शहडोल जिले का ये सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर है. जिसे दूर से ही देखने पर अद्भुत चमत्कारी और भव्य लगता है. इस मंदिर का शिल्प यहां स्थापित शिवलिंग अनायास ही आप लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इस मंदिर में दूर-दूर से लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि के दिन तो यहां काफी बहुत भीड़ रहती है.
राजा युवराज देव प्रथम ने कराया मंदिर का निर्माण: विराट मंदिर के निर्माण को लेकर पुरातत्वविद रामनाथ परमार बताते हैं कि विराट मंदिर की पदस्थापना जो यहां पर शिव विराजे हैं, मूल रूप से माना जाता है कि राजा विराट के समय से इनकी प्रतिस्थापना हुई थी. 10 वीं शताब्दी में यहां के कलचुरी नरेश जो कि बड़े शिव भक्त थे, वे मयूर शाखा से अधिक प्रभावित थे. उनके आचार्यों के निर्देशन पर उन्होंने यहां पर अद्भुत विराट शिव मंदिर का निर्माण करवाया. राजा युवराज देव प्रथम ने इस विराट शिव मंदिर का निर्माण करवाया था. जो खुद भी एक बड़े शिव भक्त थे, यहां पर पूर्वाभिमुख मंदिर की प्रतिस्थापना कराई गई है.
Mahashivratri 2023: MP में हैं उत्तर के सोमनाथ, मुगलकाल में हुए हमले, जानिए रोचक कथा
कई साल में हुआ मंदिर का निर्माण: इस मंदिर के निर्माण को लेकर पुरातत्वविद रामनाथ परमार कहते हैं कि वैसे तो इसकी कोई तिथि और तारीख नहीं है, लेकिन जिस तरह से इस मंदिर का शिल्पन किया गया है, मंदिर को अद्भुत तरीके से बनाया गया है, पत्थर पर ही वो कला आकृतियां उकेरी गई हैं, उसे देखकर यही लगता है कि 25 से 30 साल लगे होंगे. इस शिव मंदिर के निर्माण में इस मंदिर के निर्माण में बहुत से कलाकार लगे. साथ ही पूरे विधि-विधान से इस मंदिर का शिल्पन किया गया है. बहुत ही सूक्ष्म दृष्टि जो शास्त्री विधि विधान है. शिल्प कला का उसके आधार पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था.
सूर्योदय के साथ ही होता है सूर्यस्नान: शहडोल जिले का विराट शिव मंदिर इस बात को लेकर भी अद्भुत नजर आता है, यहां पर एक छोटी शिवलिंग स्थापित की गई है. जो मंदिर के एकदम अंदर भाग में स्थापित है. जहां घनघोर अंधेरा रहता है. देखकर यही लगता है कि आखिर कैसे यहां तक सूर्य की रोशनी सूर्योदय के साथ ही पहुंचती होगी, लेकिन पुरातत्वविद रामनाथ परमार बताते हैं कि जो कलचुरी नरेश शिवभक्त हुआ करते थे और पूर्वाभिमुख मंदिर का निर्माण कराया है. यहां स्थापित शिवलिंग की सबसे बड़ी खासियत यही है कि सूर्योदय के साथ ही ये सूक्ष्म शिवलिंग सूर्य किरण से स्नान करें.