शहड़ोल।हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Fast) की बहुत मान्यताएं हैं. इस व्रत के रखने सेमां लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. महालक्ष्मी व्रत हर साल भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी से शुरू होता है, और 15 दिनों तक चलता है. इस व्रत में मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना (Mahalaxmi Worship) की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. मान्यता हैं कि जिस घर की महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, उस घर में पारिवारिक शांति हमेशा बनी रहती है. (mahalaxmi pujan vidhi katha) (mahalaxmi vrat ki pooja vidhi shubh muhurt)
इस बार महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ शनिवार, 3 सितंबर 2022 से हो रहा है. 15 दिनों तक चलने वाले इस व्रत का समापन आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होगा. 17 सितंबर 2022 दिन शनिवार को व्रत का समापन होगा. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है. व्रत के 15 दिन पूरे होने के बाद 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है. जो लोग पूरे 15 दिन व्रत नहीं कर सकते कुछ दिन का व्रत का संकल्प लेंगे तो भी भी फायदा होगा.
महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहुर्त:महालक्ष्मी व्रत आज यानि शनिवार, 3 सितंबर 2022 से शुरु हो रहा है और व्रत शुरु करने का शुभ मुहुर्त आज दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से शुरु होगा और कल यानि 4 सितबर दिन रविवार को सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक का है. व्रति इसकी शुरुआत अष्टमी तिथि खत्म होने से पहले भी करें. (santan saptmi kaise karen) (Mahalakshmi Santan Saptmi Vrat )
महालक्ष्मी व्रत कथा (Mahalaxmi Vrat Katha):एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था. वह हर दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की अराधना करता था. एक दिन उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और ब्राह्मण से एक वरदान मांगने के लिए कहा. तब ब्राह्मण ने उसके घर मां लक्ष्मी का निवास होने की इच्छा जाहिर की. तब भगवान विष्णु ने ब्राह्मण को लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग बताया. भगवान विष्णु ने कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है और वह यहां आकर उपले थापती है. तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना वह मां लक्ष्मी हैं.
भगवान विष्णु ने ब्राह्मण से कहा कि जब मां लक्ष्मी स्वयं तुम्हारे घर पधारेंगी तो घर धन-धान्य से भर जाएगा. यह कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए. अगले दिन ब्राह्मण सुबह-सुबह ही मंदिर के पास बैठ गया. लक्ष्मी मां उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे घर आने का निवेदन किया. ब्राह्मण की बात सुनकर माता लक्ष्मी समझ गईं कि यह विष्णुजी के कहने पर ही हुआ है.
लक्ष्मी मां ने ब्राह्मण से कहा कि मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, लेकिन तुम्हें पहले महालक्ष्मी व्रत करना होगा. 16 दिन तक व्रत करने और 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी. ब्राह्मण ने मां लक्ष्मी के कहे अनुसार व्रत किया और मां लक्ष्मी को उत्तर दिशा की ओर मुख करके पुकारा. इसके बाद मां लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया. माना जाता है कि तभी से महालक्ष्मी व्रत की परंपरा शुरू हुई थी.
धन की देवी है मां महालक्ष्मी: पौराणिक कथाओं के अनुसार लक्ष्मी समुद्र-मंथन में निकली हैं. मंथन से पहले सभी देवता निर्धन थे. समुद्र मंथन में लक्ष्मी के प्रकट होने के बाद इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की. इसके बाद महालक्ष्मी के वरदान से उन्हें धन प्राप्त हुआ. मान्यता है कि ऋषि विश्वामित्र के कठोर आदेश अनुसार ही लक्ष्मी साधना को गोपनीय और दुर्लभ रखा जाता है. मान्यता है कि समुद्र से मां का जन्म हुआ और इन्होंने विष्णु से विवाह किया. इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है, साथ ही वैभव भी मिलता है. अगर लक्ष्मी रुष्ट हो जाएं, तो घोर दरिद्रता का सामना करना पड़ता है.
महालक्ष्मी पूजन विधि कथा : इनकी पूजा करने से केवल धन ही नहीं, बल्कि नाम, यश भी मिलता है. मां की उपासना से दाम्पत्य जीवन भी बेहतर होता है. कितनी भी धन की समस्या हो, अगर विधिवत लक्ष्मीजी की पूजा की जाए, तो धन मिलता ही है.