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शहडोल : जानिए क्या है गेहूं खरीदी केंद्रों का हाल, आखिर यहां क्यों नहीं पहुंचे किसान ? - Wheat procured in MP

मध्यप्रदेश में गेहूं खरीदी शुरू हो गई है, सरकार किसानों से गेहूं खरीदना शुरू कर चुकी है. शहडोल में भी गेहूं खरीदी शुरू हो चुकी है. ऐसे में ईटीवी भारत पहुंचा जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सिंहपुर खरीदी केंद्र, जहां गेहूं खरीदने के लिए खरीदी केंद्र में व्यवस्था तो कर ली गई है लेकिन किसान एक भी नहीं पहुंचे.

wheat procurement centers in Shahdol
खाली पड़ा गेंहू खरीदी केंद्र

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Published : Apr 15, 2020, 6:39 PM IST

शहडोल।जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर है सिंहपुर खरीदी केंद्र, जहां आज से शासन के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए गेहूं खरीदी की सभी तैयारियां तो कर ली गईं, लेकिन जब हम खरीदी केंद्र पहुंचे तब तक वहां एक भी किसान नहीं पहुंचे थे. इसके बारे में जब हमने सिंहपुर खरीदी केंद्र के प्रबंधक जयंती प्रसाद मिश्रा से जाना कि आखिर किसान अबतक अपनी फसल लेकर क्यों नहीं पहुंचे तो उन्होंने बताया कि किसानों की फसल अभी तैयार नहीं हुई है.

शहडोल में गेहूं खरीदी केंद्रों का हाल

जिसके चलते किसान नहीं आ रहे हैं, शासन के नियमों के मुताबिक किसानों को एसएमएस जा चुका है, 6 किसानों को आज के लिये एसएमएस भेजा गया है, उनसे बात भी हुई तो उन्होंने बताया कि फसल अभी तैयार नहीं हुई है, फसल में देरी है. प्रबंधक ने बताया कि यहां किसानों की फसल देरी से ही आती है. 20 अप्रैल तक उम्मीद की जा रही है किसान अपनी फसलों को लेकर पहुंचने लगेंगे.

सिंहपुर खरीदी केंद्र पहुंचते हैं 20 गांवों के किसान

प्रबंधक ने बताया कि इस बार दो शिफ्ट में किसानों से खरीदी करनी है एक दिन में 6 किसानों से फसल लेनी है. जिनसे फसल खरीदनी है उन्हें पहले से जानकारी दे दी जाएगी और फिर जिन्हें जिस दिन बुलाया जाएगा. उसी दिन उनसे फसल खरीदी कि जाएगी.

जिससे खरीदी केंद्र में अनावश्यक भीड़ न हो. सोशल डिस्टेंस मेनटेंन होता रहे. बताया गया कि सुबह 10.30 से दोपहर 1.30 बजे तक 3 किसानों से खरीदी की जाएगी और फिर 2.30 बजे से शाम 5 बजे तक दूसरे शिफ्ट में तीन किसानों से खरीदी की जाएगी.

जिले के अधिकतर रकबे में गेंहू के फसलों की लेट बोवनी होती है, इसलिए फसल भी देरी से तैयार होती है अभी क्षेत्र के ज्यादातर किसान गेंहू के फसल की कटाई गहाई कर रहे हैं. जिसकी वजह से खरीदी केंद्रों में अपनी फसलों को लेकर खरीदी केंद्रों में नहीं पहुंच पा रहे हैं.

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