मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

Makar Sankranti 2021: जानिए चमत्कारी बाणगंगा कुंड का इतिहास - शहडोल बाणगंगा मेला

मकर संक्रांति के शुभ अवसर के लिए बाणगंगा कुंड को साफ सुथरा और लोगों के लिए सुरक्षित बनाया जा रहा है, कहा जाता है कि इस अद्भुत कुंड से लोगों की काफी आस्था जुड़ी है. इस कुंड के पानी को चमत्कारी भी माना जाता है. जानिए इस अद्भुत कुंड की चमत्कारी कहानी.

Banganga Fair on  Makar Sankranti 2021
शहडोल बाणगंगा कुंड

By

Published : Jan 12, 2021, 6:16 PM IST

Updated : Jan 12, 2021, 7:05 PM IST

शहडोल:देशभर में 14 जनवरी, बृहस्पतिवार को मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) का पर्व मनाया जाएगा. हिंदू धर्म के लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं. सूर्य और शनि का संबंध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. आमतौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है, इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति में शहडोल के चमत्कारी कुंड से लोगों की खासी आस्था जुड़ी है. तो चलिए आपको बताते हैं मकर संक्राति पर जिले के अद्भुत कुंड के बारे में.

चमत्कारी बाणगंगा कुंड का इतिहास

शहडोल जिला अपने अद्भुत स्थलों के लिए भी जाना जाता है. यहां पर पुरातात्विक और धार्मिक महत्व के स्थलों की भरमार है, इन्हीं में से एक है बाणगंगा कुंड, इस बाणगंगा कुंड का धार्मिक महत्व इतना ज्यादा है कि मकर संक्रांति के दिन यहां स्नान करने वालों का तांता लगा रहता है. इतना ही नहीं मकर संक्रांति के विशेष दिन दूर-दूर से यहां आकर लोग स्नान करते हैं. राम दरबार और विराट मंदिर में स्थित भगवान शिव के दर्शन करते हैं और फिर दिन भर मकर संक्रांति के अवसर पर सैकड़ों साल से लगते आ रहे बाणगंगा मेले का लुफ्त उठाते हैं.

बाणगंगा कुंड

मकर संक्रांति और अद्भुत बाणगंगा कुंड

जरा आप देखिए यहां कितनी खूबसूरती तैयारियां चल रही हैं. कुंड के चारों ओर साफ-सफाई हो रही है. मकर संक्रांति के शुभ अवसर के लिए बाणगंगा कुंड को साफ सुथरा और आने वाले लोगों के लिए सुरक्षित बनाने की, कहा जाता है कि इस अद्भुत कुंड से लोगों की काफी आस्था जुड़ी है.

सज गया मंदिर

जानिए पुजारी की जुबानी बाणगंगा कुंड की कहानी

इस कुंड के बारे में बाणगंगा के पुजारी अभिषेक कुमार द्विवेदी बताते हैं कि लोगों की आस्था और हमारे पूर्वजों ने जो बताया है कि पांडव लोग यहां आए हुए थे और अपने अज्ञातवास में उन्होंने यहां एक साल बिताया था. ऐसा माना जाता है कि अपने अज्ञातवास के दौरान उन्होंने शहडोल में बहुत सारे कुंड के निर्माण किए गए थे. उन्हीं में से विशेष कुंड था बाणगंगा कुंड, जिसे आप महाभारत के इतिहास में भी इसे दर्ज पाएंगे. इस कुंड की उत्पत्ति को लेकर पुजारी अभिषेक कुमार द्विवेदी बताते हैं कि वैसे तो इस कुंड को लेकर अलग-अलग किवदंतियां हैं, इस चमत्कारी कुंड की उत्पत्ति को लेकर पुजारी कहते हैं कि इसे राजा विराट की नगरी भी कहा जाता है.

सालों पुरानी लेख

राजा विराट ने यहां पशुपालन भी किया था और उनकी गाय अचानक ही अकाल मृत्यु को प्राप्त हो रही थीं. क्योंकि उन्हें एक अलग ही बीमारी जिसका नाम खुरपका था हुई थी, जिसके बाद कृष्ण भगवान के कहने पर अर्जुन ने एक बाण चलाया था और तब इस अद्भुत कुंड की उत्पत्ति हुई थी जिसका नाम बाणगंगा कुंड पड़ा. इसीलिए जितने भी आसपास के लोग हैं उनके घरों में पशु हैं. यहां आस्था के नाम पर नारियल तोड़ते हैं, जल गाय को पिलाते हैं और उनके पैर में डालते हैं. जहां पर खुरपका रोग होता है वहां उसके पानी का छिड़काव करते हैं जिसके बाद लोगों का कहना है कि खुर पका रोग ठीक हो जाता है.

चमत्कारी मंदिर
चमत्कारी है इस कुंड का पानी

बाणगंगा कुंड के पानी को चमत्कारी माना जाता है. पुजारी अभिषेक कुमार द्विवेदी बताते हैं कि बाणगंगा कुंड के इस पानी को पशुओं के पैर पर डाल देने से और उन्हें पिला देने से उनका खुर पका रोग अपने आप ठीक हो जाता है. इतना ही नहीं पुजारी बताते हैं कि अब तो लोगों की आस्था इस कुंड से इतनी जुड़ गई है कि लोग इसके पानी को 12 महीने घर ले जाते हैं. यहां तक की जिन्हें सफेद दाग, चर्म रोग, कुष्ठ रोग होता है ऐसे लोग भी इस पानी को लेकर जाते हैं. हालांकि कुंड के पानी को लेकर कई मत भी हैं.

बाणगंगा कुंड

मकर सक्रांति के लिए तैयार प्रशासन

नगर पालिका अध्यक्ष उर्मिला कटारे कहती है कि कुंड में नहाने के लिए मकर संक्रांति के दिन यहां मेला लग जाता है. बाणगंगा मेले का आयोजन जहां सुबह 11:00 बजे से होता है लेकिन सुबह 5:00 बजे से 6:00 बजे तक हजारों लोग बाणगंगा कुंड में डुबकी लगा चुके होते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस पर्व पर बाणगंगा के कुंड में डुबकी लगाने के काफी महत्व होते हैं.

सैकड़ों साल पुराना मेला

इतना ही नहीं मकर संक्रांति के दिन बाणगंगा के नाम से ही बाजू में ही बाणगंगा मेला मैदान पर सैकड़ों सालों से मेले का आयोजन भी होता है. भले ही कोरोना काल है लेकिन शहडोल जिले में इस मेले के आयोजन को नहीं रोका गया है और मेले का आयोजन किया जा रहा है. जिसकी तैयारियां भी जोरों पर चल रही हैं. इतिहासकार बताते हैं कि बाणगंगा का यह मेला लगभग 125 साल से भी पुराना है. जिसकी शुरुआत मकर संक्रांति के शुभ अवसर के दिन से होती है और इस बार भी 5 दिन तक ये मेला चलेगा.

Last Updated : Jan 12, 2021, 7:05 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details