शहडोल। जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर पठरा ग्राम पंचायत है और इसी गांव के अंतिम छोर में निरंजना सिंह का खेत है. निरंजना सिंह वो महिला जो अपने घर के लगभग 2 एकड़ जमीन में ही 3 सीजन की खेती करती हैं. खुद खेतों पर काम करती हैं, जिससे मजदूरों का खर्च बच सके और खेती मुनाफे का सौदा बन सके. साथ में उनकी बेटियां भी कभी-कभी हाथ बटां देती है. निरंजना सिंह बताती हैं कि वह खरीफ, रबी और जायद तीन फसलों की खेती करती है. खरीफ में मक्का और सोयाबीन की फसल लगाती है, तो रबी सीजन में गेहूं, अलसी और प्याज लगाती हैं. इसके अलावा निरंजना सब्जी की भी खेती करती हैं. इस तरह से खेत करके वह अपना घर चलाती हैं और अपनी तीनों बेटियों को भी पढ़ाती हैं.
दूध का भी व्यापार
निरंजना सिंह ने अपने खेत में ही कुछ मवेशी भी पाल रखे हैं, उनका कहना है कि इन के माध्यम से वह घर में दूध का भी उत्पादन कर लेती हैं और इससे भी उन्हें कुछ पैसे मिल जाते हैं.
जैविक खेती पर जोर
कृषक महिला बताती है कि उनका जोर जैविक खेती पर रहता है, ताकि रासायनिक खाद की खरीदी से वह बच सके. उनके घर में बायोगैस संयंत्र भी लगा हुआ है. जिससे गोबर गैस के माध्यम से गैस का भी इस्तेमाल करती हैं और फिर जो गोबर उससे बचता है, उसे अपने खेतों में रासायनिक खाद के तौर पर डालती है.
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खेती की आय से चलता है घर
निरंजना सिंह बताती है कि उनकी खेती की आय से ही उनका घर चलता है, उनकी तीन बेटियां हैं और तीनों बेटी हायर एजुकेशन में पढ़ रही हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका खर्च कितना है, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारी, और ज्यादा मेहनत कर रही हैं. भले ही खेती के लिए उनके पास जमीन कम है, लेकिन डायवर्सिफाइड खेती कर रही हैं जिससे उनकी कमाई थोड़ी बहुत हो जाती है. साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी बेटियों के बड़े-बड़े सपने हैं और उनके सपने को पूरा करने के लिए उन्हें चाहे जितनी मेहनत करनी पड़े वह करेंगी. वह चाहती हैं कि उनकी बेटियां पढ़ लिखकर कुछ बने और अपने देश, समाज और गांव की सेवा करें.