शहडोल। आदिवासी बाहुल्य इस जिले में खरीफ के सीजन में धान की खेती काफी बड़े रकबों में की जाती है. इस बार यहां समय से पहले मानसून का आगमन हो गया. अच्छी बारिश के कारण किसानों ने खेती भी बड़े उत्साह के साथ शुरू कर दी थी, लेकिन अचानक ही बारिश बंद हो गई. काफी लंबे समय तक बारिश नहीं होने के कारण किसानों में मायूसी छा गई. हालांकि, अब जब धान की नर्सरी बड़ी हो गई है, तब कहीं जाकर एक फिर से बारिश शुरू हो गई है.
नुकसान की संभावना
दरअसल, एक लंबे ब्रेक के बाद बारिश होने से किसानों के खेतों में पानी तो आ गया है, लेकिन अब जब खेतों में मौजूद नर्सरी बड़ी हो चुकी हो, तब रोपाई के दौरान उसके नुकसान की संभावना भी बढ़ गई है. बता दें कि रोपण कार्य में नर्सरी पुरानी होने से फसल के उत्पादन में नुकसान की संभावना बनी रहती है.
जिले में पिछले तीन-चार दिन से झमाझम बारिश हो रही है, जिसके चलते खेत लबालब पानी भर चुके हैं. लंबे वक्त के बाद ही सही बारिश होने के बाद किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं, क्योंकि किसानों के धान की नर्सरी तैयार हो चुकी थी, और उन्हें लंबे समय से बारिश का इंतजार था, लेकिन देरी से बारिश होने के चलते किसानों की नर्सरी पुरानी हो गई जिसने किसानों की चिंता भी बढ़ा दी है.
धान की रोपाई में बरतें ये सावधानी
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह ने बताया कि, जिले में पिछले दो तीन दिनों में अच्छी बारिश हुई है, ऐसे में जिन किसानों के पास सिंचाई का साधन नहीं है और रोपा अधिक दिन का हो गया है, तो वे किसान एक नर्सरी से दूसरी नर्सरी के बीच में 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें. इसके साथ ही एक या दो घंटे के दौरान जितना रोपा लगा सकें उतना ही उखाड़ें. हालांकि जो किसान जागरूक हैं वह 10 से 12 दिन के अंदर नर्सरी की रोपाई कर देते हैं.