शहडोल। अंतरा वाली मां कंकाली माता मंदिर की महिला (kankali Maata Temple)अपार है. यहां लाखों भक्त मां के दर्शन करने आते हैं. मां कंकाली की महिमा दूर दूर तक फैली हुई है. मां कंकाली के बारे में कहा जाता है कि महज एक श्रीफल से ही माता प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं.
मां के दर पर हर मनोकामना होती है पूरी अंतरा में विराजीं हैं मां कंकाली
शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है अंतरा वाली मां कंकाली माता मंदिर(kankali Maata Temple) . अंतरा गांव में मां कंकाली अपने भव्य स्वरूप में विराजी हुई हैं. माता के चमत्कार की कहानियां दूर दूर तक फैली हुई हैं. मां कंकाली का यह मंदिर सिर्फ शहडोल में ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों में भी प्रसिद्ध है. जब भी कोई शहडोल पहुंचता है तो मां कंकाली के दर्शन जरूर करता है.
कंकाली माता के चारों कोनों में हैं देवियों की प्रतिमाएं जानिए क्यों पड़ा कंकाली नाम
कंकाली माता मंदिर के पुजारी राम जी शास्त्री बताते हैं कि इस मंदिर में मां कंकाली कंकाल स्वरूप में विराजी हुई हैं. इसीलिए इनका नाम कंकाली माता पड़ा है. यह मंदिर कंकाली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया. पुजारी बताते हैं कि इस कंकाली माता मंदिर की खास बात यह भी है कि इसके चारों ओर देवियां विराजमान हैं. फिर चाहे वो सिंहपुर वाली काली माता हों, भटिया की देवी मां हों. ये अपने (Shahdol) आप में ही अद्भुत है.
मंदिर के पुजारी से जानिए मां कंकाली की महिमा एक श्रीफल से प्रसन्न हो जाती हैं मां
पुजारी पंडित राम जी शास्त्री बताते हैं कि वैसे तो माता कंकाली की महिमा की कहानियां चारों ओर फैली हुई हैं. यहां कोई भी भक्त अपनी मन्नत लेकर आता है, तो खाली हाथ नहीं जाता. कंकाली माता मंदिर में तो सच्चे मन से एक श्रीफल मां को अर्पण कर देता है, तो उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. मंदिर प्रांगण के चारों ओर लाल कपड़े में कई श्रीफल बंधे हुए हैं . यह मामूली श्रीफल नहीं हैं. मां से मन्नत मांगे हुए श्रीफल (kankali Maata Temple) हैं. जब कोई व्यक्ति यहां आता है और सच्चे मन से मां से मन्नत मांगता है तो श्रीफल चढ़ाकर उसे लाल कपड़े में इसी प्रांगण में बांध देता है. जब उसकी मन्नत पूरी हो जाती है तो आकर मां की पूजा अर्चना करके उसे वहां से निकालकर तोड़ता है और हवन करता है.
एक नारियल से ही प्रसन्न हो जाती हैं कंकाली मां नवरात्र में दूर दूर से आते हैं लोग
नवरात्र में कंकाली माता मंदिर में माता के दर्शन के लिए नवरात्र में भक्तों की काफी(kankali Maata Temple) भीड़ लगती है. दूर-दूर से लोग मां के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. मध्यप्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों से भी भक्त यहां मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
10वीं सदी की प्रतिमा के रूप में हैं मां कंकाली कोई भी जनप्रतिनिधि हो, मां के दर्शन जरूर करता है
अंतरा वाली कंकाली माता मंदिर की महिमा इतनी है कि शहडोल जिले में कोई भी जनप्रतिनिधि आए कंकाली माता के दर्शन किए बगैर नहीं जाता है. यहां तक कि अब तक जितने भी मुख्यमंत्री शहडोल जिले में आए हैं वह कंकाली माता के दर्शन के लिए जरूर पहुंचे हैं .
कलचुरिकालीन 10वीं शताब्दी की है प्रतिमा
पुरातत्वविद रामनाथ सिंह परमार बताते हैं कि अंतरा में विराजी मां कंकाली की प्रतिमा विशेष महत्व की है. 10वीं 11वीं शताब्दी की कलचुरी कालीन प्रतिमा है जो बहुत ही अद्भुत है और अलग तरह की है.
रामनाथ सिंह परमार बताते हैं, कि 9वीं 10 वीं शताब्दी में एक योगिनी मठ था. कलचुरी काल में यहां पर योगिनी की तंत्र साधनाएं होती थी. यहां काफी तादात में योगिनी की प्रतिमाएं थीं. जो अपने देश और प्रदेश के बाहर भी संग्रहालय में अभी भी हैं. वर्तमान में जो कंकाली माता विराजमान हैं वो 18 भुजी माता की प्रतिमा है. ये शक्ति स्वरूपा स्वरूप में है और चामुंडा स्वरूप में वहां विराजमान हैं. इनकी काया को देखें,(kankali Maata Temple) तो ये पूरी तरह से कंकाल रूप में है. लेकिन जब इनकी मुख्य मुद्रा देखें तो शौम्य मातृत्व से भरी हुई है. यह मातृत्व शक्ति का एक अद्भुत उदाहरण है. शहडोल में ये शक्ति पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है.