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डीजल की बढ़ी कीमतों ने बस संचालकों का निकाला तेल! घाटे के चलते खड़ी करने लगे बसें - Bus Owner association

आसमान छू रही डीजल की कीमतों ने उड़ाई बस संचालकों की नींद. आखिर कब तक घाटे में करेंगे व्यापार. कई बसों को अड्डे पर खड़ा करने को मजबूर हैं बस मालिक.

increased oil prices made bus operators helpless in Shahdol
शहडोल में तेल की बढ़ी कीमतों ने बस संचालकों का निकाला तेल

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Published : Oct 23, 2021, 1:32 PM IST

शहडोल।पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों ने हर आम-व-खास का बजट बिगाड़ दिया है. एक ओर जहां सामानों की कीमत आसमान छू रही है. वहीं बस संचालकों की मुसीबत और बढ़ गयी है. पहले कोरोना महामारी से हुई लॉकडाउन ने इनके धंधे को चौपट किया, अब तेल की बढ़ी कीमतें रूला रही हैं. आलम ये है कि महंगाई के कारण कई बसें बस स्टॉप पर ही खड़ी हैं.

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तेल की कीमतों में लगी आग, कैसे चलाएं बस

पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, उससे हर वर्ग प्रभावित है. डीजल के बढ़ते दामों की वजह से बस संचालकों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. डीजल के दाम में लगी आग के कारण बस संचालक बड़े पशोपेश में हैं. वो बस चलाएं भी तो कैसे चलाएं, क्योंकि हर दिन नुकसान सह कर व्यापार करना मुश्किल हो रहा है.

शहडोल में तेल की बढ़ी कीमतों ने बस संचालकों का निकाला तेल

यात्री बसें खड़ी करने लगे ऑपरेटर्स

डीजल के बढ़ते दामों को लेकर बस ऑनर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष भागवत प्रसाद गौतम ने बताया कि डीजल की सबसे ज्यादा खपत बस और ट्रक के माध्यम से ही होती है. ऐसे में डीजल का दाम बढ़ना मतलब बस और ट्रक के व्यवसाय पर इसका सीधा असर पड़ना और हमारे वाहन कम डीजल तो कंज्यूम करते नहीं हैं. देखा जाए तो एक बस में प्रतिदिन100 से 150 लीटर डीजल की खपत होती है. ऐसे में अगर डीजल का दाम 10 रुपये भी बढ़ता है तो हजार से लेकर 1500 रुपये तक पर लगात बढ़ जाती है. देश के दूसरे क्षेत्रों की तरह शहडोल में भी डीजल 100 के आंकड़ें को पार कर चुकी है. यहां डीजल ₹108 प्रति लीटर के करीब पहुंच चुका है. इसका परिणाम ये है कि डीजल की लागत भी न निकल पाने के चलते कटनी मार्ग की 4-6 बस, रीवा मार्ग की 4-6 बसें खड़ी हो गई हैं.

कोरोना के बाद रुला रही डीजल की कीमतें

कोरोना काल से पहले देखें तो शहडोल जिले के नए बस स्टैंड से 140 से 150 बसें चलती थीं. वर्तमान में ये स्थिति है कि 60 से 70 बसें ही चल पा रही हैं. बस ऑनर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष की मानें तो कोरोना काल के बाद से बसों में यात्रियों की संख्या में गिरावट तो दर्ज की गई है, लेकिन धीरे-धीरे व्यवसाय पटरी पर आ रहा था. अब तेल की कीमतों ने लगी आग ने इनके धंधे को चौपट कर दिया है, क्योंकि डीजल के दाम जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, उस तेजी से किराए में वृद्धि हुई नहीं है. अगर किराया बढ़ता भी है तो यात्रियों की संख्या कम हो जाती है, ऐसे में किराया भी नहीं बढ़ा सकते हैं.

नहीं रुकी महंगाई तो वाहन खड़े हो जाएंगे

बस ऑनर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष कहते हैं कि डीजल के अलावे भी एक बस संचालक के कई खर्च होते हैं, परिवहन का टैक्स भी देना होता है, कर्मचारियों का वेतन भी है, और मेंटेनेंस के खर्चे अलग हैं. अगर गाड़ियां नई हैं, उनका लोन भी चुकाना है, इस तरह से खर्चा चलाना तो बहुत मुश्किल है. डीजल के दाम अगर यूं ही बढ़ते रहे तो निश्चित तौर पर वाहन खड़े हो जाएंगे.

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