शहडोल। पिछले दो दिनों से लगातार पारा लुढ़क रहा है, जिससे हाड़ कंपाने वाली ठंड बढ़ने लगी है और लोगों का जीना मुहाल हो गया है. सर्दी में इंसान तो क्या भगवान भी ठिठुर (God-Goddess dressed in warm clothes in Bhopal) रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अभी यह ठंड और सताने वाली है. शनिवार की रात 3 डिग्री तक तापमान पहुंच गया था, जबकि रविवार की रात तापमान लुढ़ककर दो डिग्री पहुंच गया.
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दिन भर रही कड़कड़ाती ठंड
रविवार को पूरे दिन सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा, लोग बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकले. सर्दी के सितम से बचने के लिए लोग अलाव तापते रहे, सोमवार अल सुबह से भी सड़कें सूनी हैं, धूप निकलने का लोग इंतजार कर रहे हैं. मौसम वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह गांधी कहते हैं कि अचानक मौसम में बदलाव हुआ है, जिस तरह से टेंप्रेचर गिरा है, उसके बाद अनुमान के मुताबिक अभी और पारा लुढ़केगा, मतलब अभी ठंड और सताने वाली है. वैसे भी शहडोल जिले में हर वर्ष गजब की ठंड पड़ती है, लेकिन मौजूदा साल में कुछ ज्यादा ही ठंड पड़ रही है.
सड़कों पर पसरा सन्नाटा
ईटीवी भारत की टीम आज सुबह करीब साढ़े 6 बजे सड़क पर निकली तो इक्का-दुक्का लोग ही वाकिंग करते दिखे, कुछ लोगों का कहना था कि हाड़ कंपाने वाली ठंड में कौन घर से बाहर निकलने वाला है, जिस तरह की ठंड पड़ रही है, उसके बाद तो धूप निकलने के बाद ही लोग बाहर निकल रहे हैं. आलम ये है कि जिन मोहल्लों में सुबह 6:00 बजे से ही चहल-पहल देखने को मिलती थी, उन मोहल्लों में सन्नाटा पसरा है. 7:30 बजे तक लोग बाहर नजर नहीं आ रहे हैं. जैसे ही सूर्य की रोशनी निकली लोग सुनहरी धूप का आनंद लेने के लिए बाहर निकल गए.
फसलों में पाले की आशंका
मौसम वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वह अपनी फसलों की सतत निगरानी करें और कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि खेतों के आसपास धुआं करें, स्थिति के अनुसार बाड़ लगाकर फसल पर ओट बनाएं, कोशिश करें कि खेतों में नमी बनी रहे. वहीं पशु चिकित्सकों ने मवेशियों को भी ठंड से बचाने की सलाह दी है.
छोटे बच्चों को बचाकर रखें
सर्दी बढ़ने से खांसी के मरीज बढ़ने लगे हैं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों लोगों को ठंड से बचने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि इससे लोग बीमार भी हो सकते हैं. डॉक्टर्स की मानें तो 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ठंड से बचाना बहुत जरूरी है क्योंकि जरा सी लापरवाही के कारण बच्चों में निमोनिया होने का खतरा रहता है. सांस संबंधी बीमारी से पीड़ितों को ठंड से बचना चाहिए. खानपान में भी सतर्कता जरूरी है. शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां पर निमोनिया से ज्यादातर बच्चे ग्रसित रहते हैं. पिछले कुछ सालों में निमोनिया की वजह से कई बच्चों की मौत भी हुई है और जिला अस्पताल इसे लेकर सुर्खियों में भी रहा है.