गणेश चतुर्थी का पर्व 18 सितंबर में शुरु होने जा रहा है. इसको लेकर जोर-शोर से तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. जगह-जगह गणेश जी को स्थापित करने के लिए मूर्तियां बनाई जा रही हैं. मूर्तिकार भी गणेश जी की मूर्तियों को आखिरी स्वरूप देने में लगे हुए हैं, क्योंकि गणेश चतुर्थी के दिन से ही जगह-जगह गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती हैं, और बड़े ही भक्ति भाव के साथ गणेश जी की पूजा पाठ की जाती है. ज्योतिष आचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ''इस बार की गणेश चतुर्थी बहुत विशेष है, इस बार 300 साल बाद ऐसा दुर्लभ योग बन रहा है, जिसका फायदा गणेश जी के भक्त उठा सकते हैं. क्योंकि ऐसे योग बार-बार नहीं बनते है, बल्कि सैकड़ों सालों के इंतजार के बाद बनते हैं.''
300 साल बाद बन रहा ऐसा दुर्लभ योग:ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ''इस बार गणेश चतुर्थी 18 सितंबर को है. इस साल जो गणेश चतुर्थी आ रही है, वो बहुत ही दुर्लभ संयोग बना रही है. इस बार 300 सालों बाद तीन योग बन रहे हैं. जिसमें से एक है ब्रह्म योग, दूसरा है शुक्ल योग और तीसरा है शुभ योग. ये तीनों ही योग लगभग 300 साल बाद मिलकर बना रहे हैं ये दुर्लभ योग.''
ब्रह्म योग-ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि ''ब्रह्मा योग में ब्रम्हा, विष्णु, और महेश तीनों शक्तियां वहां पर एक साथ साक्षात मौजूद रहती हैं.''
शुक्ल योग- शुक्ल योग में जितने भी जातक गणेश चतुर्थी में शामिल होते हैं, गणेश जी की आरती पूजन करते हैं, उनके घर में शुभ ही शुभ होता है.
शुभ योग- तीसरा है शुभ योग, शुभ योग यानी गणेश जी के भक्तों के घरों में भी शुभ लाभ की स्थापना हो जाती है, आमदनी में बरकत अधिक और हानि कम होती है, और घर में जो भी रहते हैं स्वस्थ रहते हैं.