शहडोल। कहते हैं बच्चों की सफलता के पीछे पिता का भी बहुत बड़ा हाथ होता है. पूजा वस्त्राकर आज भारतीय महिला क्रिकेट (Indian womens cricket team) टीम से खेल रही हैं, तो कहीं ना कहीं उसके पीछे उनके पिता का भी बहुत बड़ा योगदान है. पिता का त्याग, संघर्ष और खेल के प्रति प्रेम का नतीजा है कि पूजा वस्त्राकर (Pooja Vastrakar) आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की चैंपियन ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं. पूजा वस्त्राकर न केवल भारतीय महिला टीम से खेलती हैं, बल्कि बिग बैश लीग (Big Bash League) की टीम में भी शामिल हो चुकी हैं और वर्ल्ड क्रिकेट में धीरे-धीरे उनकी भी काफी फैन फॉलोइंग बन रही है. फादर्स डे पर आज हम जानेंगे पूजा और उनके पिता बंधनराम वस्त्राकर (Bandhan Ram Vastrakar) के बारे में. (Fathers Day Special)
पूजा वस्त्राकर के पिता कई त्याग किये पूजा वस्त्राकर ने टीम में बिखेरा जलवा: आज के दौर में भले ही खेलों को लेकर सबकी सोच बदली गई हो. बच्चों को खेल की ओर जाने से पैरेंट्स अब मना नहीं करते हो, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जहां ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए सिर्फ मोटिवेट करते थे. खेल की दिशा में जाने से मना करते थे. कुछ पेरेंट्स ही ऐसे थे जो अपने बच्चों को खेलों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए मोटिवेट करते थे. उन्हीं मां-बाप में से एक हैं बंधनराम वस्त्राकर, जो भारतीय महिला क्रिकेट टीम (Indian women cricket team) की खिलाड़ी पूजा वस्त्राकर के पिता हैं. इनके त्याग, तपस्या और संघर्ष की वजह से आज पूजा वस्त्राकर (Pooja Vastrakar) भारतीय महिला क्रिकेट टीम में अपना जलवा बिखेर रही हैं. (Pooja Vastrakar is champion player of Indian womens cricket team)
पूजा वस्त्राकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की चैंपियन खिलाड़ी हैं रणजी ट्रॉफी: बंगाल को हराकर 23 साल बाद फाइनल में पहुंचा मध्य प्रदेश
पूजा वस्त्राकर की बहन ने बताई बात: पूजा वस्त्राकर की बड़ी बहन उषा जो खुद भी एक एथलेटिक्स की चैंपियन खिलाड़ी हैं, वो बताती हैं कि पूजा बचपन से ही क्रिकेट की दीवानी रही है. गली क्रिकेट से लेकर इंटरनेशनल क्रिकेट तक का सफर उसके उसी जुनून ने तय करवाया है, लेकिन इस बीच सबसे बड़ा रोल होता है कि आप के खेल में आप के पिता किस तरह से आपको मोटिवेट करते हैं. एक छोटी सी नौकरी करने वाले पिता बंधनराम वस्त्राकर ने कभी भी पूजा वस्त्राकर को क्रिकेट खेलने से मना नहीं किया, बल्कि उनके हर चुनौती में डट कर खड़े रहे और पूजा को मोटिवेट करते रहे. जिसका नतीजा है कि आज पूजा वस्त्राकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम में खेल रही हैं और सफल खिलाड़ी भी हैं.
पिता की प्रतिज्ञा पूरा करने को बेटे ने कराया मंदिर का निर्माण, लगवाई माता-पिता की प्रतिमा
कैसे हासिल किया ये मुकाम?पूजा वस्त्राकर की बड़ी बहन उषा वस्त्राकर बताती हैं कि वह लोग पांच बहन और दो भाई हैं. सभी कहीं ना कहीं आज अपने करियर में सफल हैं. उनके पिता ने सभी भाई बहनों को अच्छी तालीम दी, जिसके बदौलत आज वो कहीं ना कहीं रोजगार से जुड़े हुए हैं. उषा वस्त्राकर बताती हैं कि उनके घर में शुरुआत से ही खेल का माहौल रहा है. उनके पिता पहले से ही कैरम खिलाड़ी थे और विभागीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लिया करते थे. उनके पिता जब कैरम में पुरस्कार जीतकर लाते थे तो वे सभी भाई-बहन काफी मोटिवेट होते थे. इसी वजह से खेलों को लेकर उनके घर में हमेशा चर्चा होती थी. (Pooja Vastrakar in Cricket Team)
पूजा वस्त्राकर के पिता बंधन राम वस्त्रकार पिता ने सभी के लिए बहुत कुछ किया:उषा वस्त्राकर 4 नेशनल खेल चुकी हैं साथ ही एक यूनिवर्सिटी भी खेल चुकी हैं. उषा अभी एक स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर है. इसके अलावा उनके बड़े भाई भी फुटबॉल के खिलाड़ी रहे हैं, जो लोकल लेवल पर फुटबॉल खेलते रहे हैं. पूजा वस्त्राकर शुरुआत से ही क्रिकेट खेलती आई हैं, और गली क्रिकेट से लेकर अब तो इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है. पूजा अब भारतीयत महिला क्रिकेट टीम की रेगुलर खिलाड़ी भी हैं. पूजा की बड़ी बहन उषा वस्त्राकर बताती हैं कि उनके पिता ने सभी भाई बहनों के लिए बहुत कुछ किया. कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होने दी और एक छोटी सी नौकरी में इतने बड़े परिवार को जिस तरह से उन्होंने संभाला ये बहुत ही कम पेरेंट्स कर पाते हैं. उषा कहती हैं उनके पिता भले ही आजीवन साइकिल से चलते रहे, लेकिन बच्चों की तालीम उनकी परवरिश और उनके करियर में कभी कोई कमी नहीं आने दी.
महिला क्रिकेट : इंग्लैंड की तेज गेंदबाज कैथरीन ब्रंट ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की
2010 में गुजर गईं मां:उषा वस्त्राकर बताती हैं की उनके परिवार पर सबसे बड़ा दुख तब आया था जब 2010 में उनकी मां गुजर गई थी. तब उनके पिता, मां और पापा दोनों की ही जिम्मेदारी बखूबी निभाते आए. उस दुख की घड़ी में भी अपने परिवार को संभाला. कभी भी अपने बच्चों को मां की कमी नहीं खलने दी. पूजा वस्त्राकर के पिता बंधनराम वस्त्राकर बीएसएनएल में नौकरी करते थे. नौकरी की शुरुआत पीयून से की थी, जो आखिर में बाबू के पोस्ट तक आकर रिटायर हुए. पूजा वस्त्राकर के पिता की उम्र लगभग 67 साल है.
भावुक हो जाते हैं पिता: पूजा वस्त्राकर के पिता बंधन राम वस्त्राकर से जब कभी पूजा को लेकर या उनकी बेटियों को लेकर बात की जाती है, तो वे कैमरे पर कुछ भी कहने से पहले भावुक हो जाते हैं. सिर्फ उनके आंसू ही निकलते हैं, वे कुछ बोल नहीं पाते हैं. पूजा वस्त्राकर के पिता बंधन राम वस्त्राकर अपनी बेटी पर बहुत नाज करते हैं. उन्हें बहुत प्राउड फील होता है. वे कहते हैं कि आज बेटी की वजह से वो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गए हैं. उनका नाम अब हर कोई जानने लगा है. बेटी की सफलता को लेकर वे अक्सर भावुक हो जाते हैं.
पूजा वस्त्राकर का क्रिकेट करियर:पूजा वस्त्राकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इन दिनों परमानेंट खिलाड़ी हैं. पूजा ऑलराउंडर के तौर पर खेलती हैं. पूजा वस्त्राकर एक मीडियम पेसर गेंदबाज हैं, और साथ में बल्लेबाजी करने में भी माहिर हैं. पिछले कुछ सीरीज से शानदार फॉर्म में चल रही हैं. अभी हाल ही में खेले गए महिलाओं के वर्ल्ड कप में भी उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया था. साथ ही विमेंस T20 चैलेंज में भी सुपरनोवास (Women's T20 Challenge Supernovas) टीम की ओर से पूजा वस्त्राकर ने शानदार खेल दिखाया. इसके अलावा बिग बैश लीग में भी मौजूदा साल खेलते नजर आ सकती हैं. पूजा वस्त्राकर इन दिनों बेंगलुरु में नेशनल क्रिकेट एकेडमी में हैं, और लगातार अपने खेल पर कड़ी मेहनत कर रही हैं. जिस तरह से पिछले कुछ मैच से उन्होंने अपना शानदार खेल दिखाया है उसके बाद से अब हर किसी की नजर उन पर टिकी हुई है. वर्ल्ड क्रिकेट में वह एक अलग पहचान बना रही हैं.
पिता को बेटी का खेल खराब होने का रहता है डर:पूजा वस्त्राकर की बड़ी बहन उषा वस्त्राकर बताती हैं कि उनके पिता अगर बीमार भी होते हैं तो वो कभी भी पूजा वस्त्राकर को इसकी सूचना नहीं देते. उन्हें डर रहता है कि उनकी बेटी का खेल खराब हो सकता है. अभी हाल ही में महिलाओं के टी20 लीग में पूजा खेल रही थीं, और पापा बीमार हो गए. अस्पताल में उन्हें एडमिट करना पड़ा, लेकिन पापा ने साफ मना कर दिया था कि पूजा को इस बात की जानकारी न दी जाए. टूर्नामेंट खत्म होने के बाद जब पूजा घर आई तब उन्हें पता चला कि पिता की तबियत इतनी बिगड़ गई थी. इस उम्र में भी पूजा के खेल को लेकर उनके पिता बड़े उत्साहित रहते हैं, और किसी भी तरह के घर की चिंता की वजह से पूजा का खेल ना डिस्टर्ब हो जाए इसलिए कभी भी कोई भी ऐसी बात पूजा से शेयर नहीं करते जिससे पूजा का ध्यान खेल से भटके.
ओलंपिक चैंपियन भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने कुओर्ताने खेलों में स्वर्ण पदक जीता