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खेती के इन तरीकों को अपनाकर बन सकते हैं स्मार्ट किसान, नुकसान का रहेगा नो चांस

शहडोल के सोहागपुर ब्लॉक के करीब 25 से 30 गांव ऐसे हैं, जहां सोयाबीन की खेती पिछले कई साल से की जा रही है. कृषि वैज्ञानिक ने सोयाबीन की फसल को लेकर कई सुझाव दिए हैं.

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Published : Jun 26, 2019, 11:19 PM IST

सोयाबीन की खेती

शहडोल। सोहागपुर ब्लॉक के करीब 25 से 30 गांव ऐसे हैं, जहां सोयाबीन की खेती लंबे समय से की जा रही है. इसी फसल से इन गांवों के कई किसान समृद्ध हुए हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से इस फसल से इन किसानों को नुकसान हो रहा है. कहीं फसल में कीट लग जाते हैं तो कहीं असमय बारिश उनके उम्मीदों को बहा ले जाती है.


पिछले कुछ सालों से सोयाबीन की फसल लगाने वाले किसान बहुत परेशान हैं. कुछ किसानों ने तो सोयाबीन की खेती ही छोड़ दी है तो कुछ किसान फसल तो लगा रहे हैं लेकिन नुकसान झेल रहे हैं. सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने सलाह दी है कि जब तक 4 इंच बारिश न हो जाये, तब तक सोयाबीन की फसल बिल्कुल भी न लगाएं.

सोयाबीन की खेती करने के उपाए

ऐसे करेंगे खेती तो नहीं होगा नुकसान
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि यहां किसान जब से सोयाबीन की खेती किए हैं. तब से लगातार उसी फसल को लगाते जा रहे हैं. ऐसे में किसान अपने खेतों में क्रॉप रोटेशन भी करें, जो बेसिक फंण्डामेंटल भी है. इसके अलावा यहां के किसान अभी भी छिटकवा पद्धति से बीज खेतों में डालते हैं, जिसे बदलने की जरूरत है क्योंकि समय बदला है तो चीजें भी बदली हैं, पहले शुरुआत में क्षेत्र में नई फसल थी तो इतने ज्यादा कीड़े-मकोड़े, रोग-व्याधि नहीं थे. तब किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता था.


बदलते वक्त के साथ अब ये भी यहां आ चुके हैं. इसलिए सोयाबीन की खेती स्मार्ट तरीके से करने की जरूरत है. किसानों की सबसे बड़ी कमी ये भी है कि आज भी सोयाबीन की पुरानी किस्म जेएस 335 बीज का इस्तेमाल कर रहे हैं. जबकि ये करीब 35-36 साल पुरानी किस्म है.

सोयाबीन के नए किस्म के बीज
सोयाबीन के नए किस्म के बीजों में जेएस-2029, जेएस-2069 और आरवीएस 2001-4 किस्म हैं. जिसमें कई रोग-व्याधि का प्रकोप नहीं है और बदलते मौसम के हिसाब से ये बीज उपयुक्त भी हैं. इसके अलावा अगर सोयाबीन की ही फसल लेना चाह रहे हैं तो बोवनी के समय छिटकवा पद्धति छोड़कर रिज फर्म मेथड से बोवनी करनी होगी क्योंकि छिटकवा पद्धति से जब फसल बढ़ जाते हैं तो फसलों के बीच में चलने के लिए जगह नहीं होती. जिससे बाद में दवाइयों का छिड़काव करने में दिक्कत होती है.


जिस सोयाबीन की फसल ने कई गांव के किसानों को समृद्ध बनाया था, पिछले कुछ सालों से सोयाबीन की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञनिकों को सलाह है कि क्रॉप रोटेशन करें, अगर पिछले साल सोयाबीन की फसल लिए हैं तो इस साल कोई और फसल लें. इसके अलावा अगर सोयाबीन की फसल फिर भी लेना चाह रहे हैं तो बीज के किस्म में बदलाव अवश्य करें.

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