शहडोल।आदिवासी जिला शहडोल में धान की खेती बड़ी ही प्रमुखता से की जाती है. छोटे से लेकर बड़ा किसान हर कोई यहां धान की खेती करता है, लेकिन अब खेती करने के तरीके में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. हर किसान हाइब्रिड बीज ही अपने खेतों पर लगाता है. खेती के लिए हर चीज पर बाजार पर डिपेंडेंसी किसान की बढ़ गई है. पहले गांव के हर घर में मवेशी हुआ करते थे और उसकी वजह है किसान पहले पूरी तरह से जीरो बजट खेती करता था, मतलब खेती के लिए बाजार पर बहुत कम आश्रित रहता था. मवेशियों से किसानों को गोबर का खाद और हल चलाने के लिए बैल की जरूरत हुआ करती थी, जो उन्हें मवेशी पालने पर आसानी से मिल जाता था और रही बात बीज की तो किसान उसे भी घर में ही बना लेता था.
लेकिन वक्त बदला, किसान बदला और किसानों के खेती करने का तरीका भी बदल गया. साथ ही किसानों ने मवेशियों को पालना भी कम कर दिया. जिसकी वजह से बाजार पर किसान की डिपेंडेंसी बढ़ गई है और किसान जीरो बजट खेती को छोड़कर पूरी तरह से बाजार पर आश्रित होकर खेती करने लगा है. जिसकी वजह से खेती की लागत में थोड़ी नहीं बहुत ज्यादा बढ़ोतरी आ गई है, अब किसान अपने खेतों में हाइब्रिड धान के बीज लगाता है, क्योंकि किसान अब घर में बीज नहीं बनाता. ये बीज बाजार से आते हैं, हाइब्रिड बीज लगाता है तो रासायनिक खाद भी चाहिए, क्योंकि गोबर के खाद तो किसान के पास होती नहीं है, क्योंकि उनके पास मवेशी ही नहीं हैं. किसानों के पास मवेशी नहीं हैं, हल का जमाना चला गया तो अब ट्रैक्टर और दूसरे मशीनों से खेती होती है.
बाजार पर ऐसे आश्रित हुआ किसान-
किसानों का कहना है कि पुरानी परंपरागत खेती करने पर सब कुछ व्यवस्थित होता था, पहले बारिश भी समय से होती थी, बीज भी घर पर बन जाते थे, गोबर से खाद भी घर पर मिल जाता था. बाजार पर इतनी डिपेंडेंसी नहीं रहती थी, लागत कम लगती थी, तो जितनी भी फसल होती थी, वो फायदे का सौदा होता था, क्योंकि घर में मवेशी भी हुआ करते थे.