शहडोल।प्रदेश में मानसून आए एक माह बीत गया है, मानसून आने के साथ ही धान, सोयाबीन और मक्के के बोवनी भी की जा चुकी है. इस साल मानसून के आने के बाद भी बारिश के हाल देख परंपरागत किसानों ने फसलें बदल दीं. ऐसा ही कुछ किया शहडोल के सोयाबीन के परंपरागत किसानों ने, जिन्होंने सोयाबीन के जगह इस बार मक्के की बोवनी की है. यहां सोयाबीन लगातार घट रहे सोयाबीन के रेट और अच्छी गुणवत्ता के सोयाबीन की कमी के कारण किसान काफी परेशान थे, जिस कारण इस बार किसानों का रुझान मक्का की बुवाई में ज्यादा दिखाई दिया. लेकिन अब किसानों को मक्के के भाव को लेकर चिंता सता रही है.
शहडोल में जिन किसानों ने मक्के की फसल लगाई वह कभी सोयाबीन की फसल लगाया करते थे. सोहागपुर ब्लॉक के करीब 25 से 30 गांव में किसान सोयाबीन की फसल काफी तादात में लगाते थे और इस फसल से इस इलाके के किसान मालामाल भी हुए, इस इलाके की पहचान ही इस फसल से होने लगी थी, लेकिन अचानक ही सोयाबीन की फसल से अब किसानों का मोह भंग हो चुका है. अब जिस फसल से किसान मालामाल हुए उसकी जगह पर इस सीजन में किसानों ने मक्के की फसल पर भरोसा जताया है, जिससे मक्के का रकबा बढ़ा है. लेकिन इस फसल को लेकर भी किसानों को अब इस बात की चिंता सता रही है.
किसानों ने बताई ये वजह
मक्का किसान नंदकिशोर यादव ने बताया कि कुछ साल में बारिश के क्रम में बदलाव हुआ है, जिस कारण सोयाबीन की उत्पादन में लगातार कमी आई है. नंदकिशोर यादव ने बताया कि अगर कम दिन वाला बीज लगाते थे तो फसल गल जाती थी और अगर ज्यादा दिन वाला बीज लगाते थे तो फसल सूख जाती थी, आलम ये था कि उन्हें कुछ साल से सिर्फ नुकसान ही हो रहा था. इस कारण उन्होंने ने इस बार करीब 4 से 5 एकड़ जमीन में सोयाबीन की जगह पर मक्के की फसल लगाई है, क्योंकि कुछ सालों से सोयाबीन के बीज की लागत भी नहीं निकल रही रही थी.