शहडोल। दीपावली का त्योहार आते ही सड़कों पर मिट्टी के दीपकों की लड़ी नजर आने लगती हैं. इन दिनों महंगाई की मार से हर वर्ग परेशान है. मिट्टी के दीपक बनाने वाले कारीगर भी महंगाई की मार झेल रहे हैं. मिट्टी का दीपक बनाना तो इन्हें महंगा पड़ ही रहा है, साथ ही साथ ग्राहक भी नहीं मिल रहे हैं. इसकी प्रमुख वजह है महंगाई. जितने ज्यादा मिट्टी के दीपक खरीदेंगे, उतना ज्यादा तेल लगेगा. इसलिए जो ग्राहक पहले 100 या 200 मिट्टी के दीपक खरीद लिया करते थे. वह ग्राहक इस बार 50 दीपक भी नहीं खरीद रहे.
40 साल में कुछ भी नहीं बदला
पिछले 40 साल से बिंदा प्रसाद प्रजापति मिट्टी के बर्तन बनाने का काम कर रहे हैं. जब ईटीवी भारत की टीम उनके पास पहुंची तो बड़े शिद्दत के साथ बिंदा मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे थे. वहीं पर एक महिला दीया बनाने के लिए मिट्टी को तैयार कर रही थी. जब टीम ने बिंदा प्रसाद से पूछा कि तब से लेकर अब तक में क्या कुछ बदला है? तो निराश होकर कहते हैं कि कुछ भी तो नहीं बदला है. जैसा पहले था वैसा आज भी है. महंगाई इतनी ज्यादा है कि उनकी हालत खराब है.
मिट्टी के दीपक में भी महंगाई की मार
बिंदा प्रसाद प्रजापति कहते हैं कि मौजूदा दीपावली में महंगाई की मार उनके व्यापार पर भी देखने को मिल रही है. वह मिट्टी के दीए तो बना रहे हैं, लेकिन कितना बिकेगा वह नहीं जानते हैं. बिंदा कहते हैं कि 50 दीए लेने वाले सिर्फ 5 दीए ले रहे है. कह रहे हैं तेल महंगा है, अब आप इसी बात से हमारी परेशानी का अंदाजा लगा लीजिए. जिस ग्राहक को पहले हम 100 से 200 दीए बेचते थे वह ग्राहक अगर 50 दीए ही खरीदें, तो हमारा सामान कैसे बिकेगा.
मिट्टी का बर्तन बनाना भी हुआ महंगा
बिंदा प्रसाद बताते हैं कि बदलते वक्त के साथ मिट्टी के बर्तन बनाने पर भी महंगाई का असर दिख रहा है. लगभग 700 रुपए में एक ट्रॉली मिट्टी मिलती है. लगभग 700 रुपए में एक क्विंटल लकड़ी मिलता है. अब इस महंगाई में कैसे काम करें और कैसे कमाए. मिट्टी के दीपक तैयार करने के लिए कारीगरों को काफी मेहनत करनी पड़ती है. सबसे पहले तो मिट्टी खरीदनी पड़ती है. वो भी महंगी हो चुकी है. इसके बाद उसे तैयार करना होता है.
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मिट्टी को तैयार करने में भी काफी मेहनत लगती है. फिर उसके बाद उसे चाक पर रखकर दीपक तैयार करना भी आसान काम नहीं है. कई घंटों की मेहनत के बाद दीपक तैयार होते है. दीपक बन जाने के बाद उसे आग में पकाया जाता है. जिसके लिए लकड़ी की जरूरत पड़ती है, गोबर के कंडे की जरूरत पड़ती है. जो अब काफी महंगे दामों में मिलता है, उनकी भी कीमत बढ़ चुकी है. दीपक पकने के बाद फिर उसे बाजार में लेकर बेचना भी बड़ा चुनौती वाला काम है.