शहडोल। दिन-रात मेहनत कर देशभर का पेट भरने वाले किसानों को कभी प्राकृतिक मार झेलनी पड़ती है, तो कभी व्यापारियों की मनमानी. अन्न उगाने वाले अन्नदाता अपनी फसल के लिए इतनी कड़ी मश्क्कत करते हैं, बावजूद इसके उनकी राहत के लिए कोई भी सोचना मुनासिब नहीं समझता है. ऐसा ही कुछ शहडोल में देखने को मिल रहा है. यहां पिछले कुछ दिनों से किसान खाद के लिए परेशान हैं. खाद नहीं मिलने के कारण किसान रबी सीजन की फसल नहीं बो पा रहे हैं.
खाद की किल्लत से किसान परेशान निराश लौट रहे किसान
जिले में रबी सीजन की खेती की तैयारियां चल रही हैं. इन दिनों किसान फसल की बोवनी में जुटा हुआ है. इसके लिए उन्होंने अपने खेत भी तैयार कर लिए हैं. किसानों के पास बीज भी हैं, लेकिन यूरिया नहीं. यूरिया नहीं होने की वजह से किसान बोवनी नहीं कर पा रहे हैं. किसान रासायनिक खाद वितरण केंद्र तो पहुंच रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिलने की वजह से वे निराश लौट रहे हैं. और तो और कई दफा तो खाद वितरण केंद्र भी बंद रहते हैं.
जिले में रबी फसल का रकबा
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया ने बताया कि शहडोल जिले में रबी सीजन में सिंचित रकबा कम होने की वजह से रबी सीजन में 68 हजार से लेकर करीब 80 हजार हेक्टेयर के बीच खेती की जाती है. इस साल जिले में करीब 89 हजार हेक्टेयर के का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें-
- 68,000 हेक्टेयर में गेहूं.
- 1200 हेक्टेयर में जौ.
- 7000 हेक्टेयर में चना.
- 1500 हेक्टेयर में मटर.
- 2500 हेक्टेयर में मसूर.
- 4500 हेक्टेयर में सरसों.
- 5000 हेक्टेयर में अलसी.
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जिले में खाद की खपत
जिले में रबी फसल में रासायनिक खाद की खपत के बारे में कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया ने बताया कि यहां रासायनिक खाद में यूरिया और डीपी की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. उसके मुताबिक करीब 6 हजार मैट्रिक टन यूरिया की जरूरत हमारे यहां पड़ेगी. पिछली बार 5500 हजार मेट्रिक टन की जरूरत पड़ी थी.
इस बार 6 हजार मेट्रिक टन में 4039 मेट्रिक टन यूरिया आज की डेट तक जिले में उपलब्ध है. इसी तरह पिछली बार डीपी की जरूरत जिले में करीब 42100 मेट्रिक टन के आसपास की थी. इस बार भी उतना ही लक्ष्य रखा गया है. इसमें से 3,481 मैट्रिक टन अब तक उपलब्ध हो चुका है. दो समितियों में खाद की मात्रा कुछ कम उपलब्ध थी. गोहपारू और जयसिंहनगर में, कुछ मेट्रिक टन खाद उपलब्ध है. और अब भी रैक लगी हुई है, जिसमें से 35 मेट्रिक टन एक गाड़ी और 35 मेट्रिक टन दूसरी गाड़ी में डीपी फर्टिलाइजर उपलब्ध हो गया है. जल्द ही 17 मेट्रिक टन और आने की उम्मीद है.
खेती में हो रही देरी
चाहे जिला मुख्यालय और या आसपास के खरीद केंद्र, सब जगह यही हाल बना हुआ है. इस वजह से किसानों को खेती के लिए बोवनी करने में देरी हो रही है. किसानों की परेशानी एक बार फिर बढ़ने लगी है. जाहिर सी बात है कि खाद के बिना किसान बोवनी नहीं कर सकता और अगर रबी सीजन की बोवनी खाद के बिना किसान करता भी है तो फिर उसके उत्पादन में उसका असर पड़ेगा.