शहडोल।शहडोल जिले में कुत्ते पार्गो वायरस से परेशान हैं. जिले में इन दिनों कुत्तों में पार्गो नामक वायरस का प्रकोप दिख रहा है. जिले में पार्गो वायरस से ग्रस्त कई कुत्ते इन दिनों इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि यह फरवरी से लेकर अप्रैल तक का महीना होता है, जब यह वायरस कुत्तों पर अटैक करता है.
कुत्तों के लिए खतरनाक है ये वायरस
पशु चिकित्सक डॉक्टर विशाल पूरी बताते हैं कि पार्गो नाम का ये वायरस फरवरी से लेकर अप्रैल तक के बीच में जब क्लाइमेट चेंज होता है, तब ज्यादा होता है. यह जानलेवा बीमारी है. कुत्तों में ये सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाता है. ये वायरस ज्यादातर 3 से लेकर 9 से 10 महीने तक के कुत्तों के बच्चों में फैलता है. इसमें अगर ध्यान ना दिया जाए, अच्छे से ट्रीटमेंट ना हो तो कुत्तों की मृत्यु हो सकती है.
इस बीमारी में ये लक्षण दिखते हैं
कुत्ता पार्गो नामक वायरस से प्रभावित है या नहीं. ये जानने के लिए ये हैं लक्षण. पहले कुत्ते को बुखार होगा फिर उल्टियां चालू हो जाएंगी. दस्त होने लगेंगे फिर दस्त में ब्लड निकलना चालू हो जाता है. इसकी वजह से कुत्तों के शरीर पर हर चीज की कमी हो जाती है. इलेक्ट्रोलाइट्स भी कम हो जाते हैं, जिसके चलते कुत्ते इस काबिल भी नहीं बचते हैं कि वह चल भी सकें. इसमें भूख मर जाती है. इसके लिए ड्रिप के थ्रू एंटीबायोटिक्स के रूप में उसको देना पड़ता है. किसी कुत्ते को 5 दिन लग सकते हैं, किसी को 8 दिन, किसी को 10 दिन. ये वायरस मनुष्य में नहीं फैल सकता है. ये ज्यादातर सियारों में हो सकती है. स्ट्रीट डॉग्स के बच्चे के माध्यम से ये संक्रमण घर के पालतू कुत्तों में भी पहुंच जाता है.
पहली डोज के बाद अब कुत्तों को लग रही बूस्टर डोज, जानें क्यों ?
कुत्तों का वेक्सीनेशन कार्य प्रगति पर
देश में बाघों को कुत्तों से संक्रमण पैदा होने के बाद से कुत्तों का वेक्सीनेशन कार्य शुरू हो गया है. पन्ना टाइगर रिजर्व में रेबीज वायरस की रोकथाम के लिए टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित 14 ग्रामों के कुल 675 पालतू कुत्तों का टीकाकरण की पहले डोज लग गई है. वहीं अब कुत्तों को बूस्टर डोज दी जा रही है. फील्ड डायरेक्टर की मानें तो फरवरी में बूस्टर डोज के कार्य को पूरा भी कर लिया जाएगा. पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एवं बफर क्षेत्र की सीमा के अंदर स्थित ग्रामों के लगभग 5 हजार कुत्तों में टीकाकरण का कार्य प्रस्तावित हुआ है. इसके साथ ही पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एवं बफर क्षेत्र की सीमा में स्थित ग्रामों के मवेशियों में भी टीकाकरण का कार्य लगातार किया जा रहा है. मवेशियों के टीकाकरण का मुख्य उद्देश्य जंगली जानवरों में मवेशियों से होने वाली बीमारीयों को रोकना है.
कुत्तों से बाघों को खतरा
देश में बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए बनायी गई एनटीसीए ने टाइगर रिजर्व के आसपास रह रहे कुत्तों से बाघों को खतरा बताया था. इसके साथ ही देश के कई टाइगर रिजर्व को मामले में एसओपी जारी की गई थी. एसओपी जारी करने के पीछे प्रमुख वजह कुत्तों से टाइगर और वन्यजीवों को बीमारी फैलने का खतरा बताया गया था. केनाइन डिस्टेम्पर डिजीज नामक वायरस से बाघों को खतरा है, जो कुत्तों से फैलने वाला एक वायरस है. कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बाघों के लिए खतरानाक है. (canine distemper virus in panna)