शहडोल। 21वीं सदी चल रही है, जमाना कहां से कहां पहुंच गया है, मेडिकल क्षेत्र भी बहुत आगे निकल गया है तो वहीं लोगों के बीच में आधुनिकता बढ़ती जा रही है, मोबाइल युग में दुनिया चल रही है, लेकिन जब दगना कुप्रथा की घटनाएं सामने आ जाती हैं तो यही लगता है कि यहां आज भी इलाज पर अंधविश्वास हावी है. एक बार फिर से शहडोल जिले में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जहां एक 3 महीने की मासूम बच्ची को उसकी बीमारी ठीक करने के नाम पर कई बार गर्म सलाखों से दाग दिया गया. आलम यह है कि अब बच्ची का शहडोल मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है और वह जिंदगी से जंग लड़ रही है.
दगना कुप्रथा की शिकार मासूम:दशा शहडोल जिला मुख्यालय के पुरानी बस्ती के रहने वाले रहने वाली एक 3 माह की मासूम बच्ची है. वह दगना कुप्रथा का शिकार हो गई है. बताया जा रहा है कि मासूम बच्ची जन्म के बाद से ही बीमार चल रही थी. निमोनिया और धड़कन तेज चलने की समस्या थी तो परिजनों को इलाज की जगह दगना कुप्रथा पर ज्यादा भरोसा हुआ. परिजनों ने इलाज के नाम पर उस दूधमुंही बच्ची को गर्म सलाखों से दगवा दिया. आलम यह रहा कि दगना कुप्रथा की शिकार मासूम बच्ची ठीक होने की वजह जिंदगी और मौत से जूझने लगी. हालत ज्यादा बिगड़ने पर परिजन बच्ची को लेकर आनन-फानन में शहडोल मेडिकल कॉलेज पहुंचे. मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग की टीम अपनी निगरानी में इलाज कर रही है, जहां बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है.