शहडोल। कोरोना काल में हर कोई परेशान है. इस समय पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है. लॉकडाउन की वजह से सब कुछ थमा से गया है. लेकिन मजदूरों का अपने गांव, घर और कस्बे में आना जारी है. ऐसे में कभी-कभी कुछ ऐसी तस्वीरें निकलकर आ जाती हैं जिसे देखकर किसी का भी मन पसीज जाए. कुछ ऐसा ही वाक्या आज जिला मुख्यालय में हुआ. जहां मजूदरों का एक जत्था इलाहाबाद से पैदल शहडोल होते हुए बिलासपुर जा रहा था. इस ग्रुप में आठ पुरुष, सात महिला और आठ मासूम बच्चे भी थे. कुछ मां-बाप के गोद में थे, तो कुछ अपने पैरेंट्स के साथ पैदल ही अपने घर वापसी के लिए चल रहे थे,.उनके चहरे की थकान और पैरों में पड़े छालों को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तकलीफ के साथ वो अपने घर वापसी के लिए जा रहे हैं.
इलाहाबाद से बिलासपुर पैदल जा रहा था मजूदरों का जत्था, शहडोल पुलिस बनी संकटमोचक - Laborers arrived on foot from Allahabad
ऐसे में कभी-कभी कुछ ऐसी तस्वीरें निकलकर आ जाती हैं जिसे देखकर किसी का भी मन पसीज जाए. कुछ ऐसा ही वाक्या आज जिला मुख्यालय में हुआ. जहां मजूदरों का एक जत्था इलाहाबाद से पैदल शहडोल होते हुए बिलासपुर जा रहा था. इस ग्रुप में आठ पुरुष, सात महिला और आठ मासूम बच्चे भी थे.
मजदूर ने बताया कि वह पिछले आठ दिन से पैदल चल रहे हैं. हर दिन 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर रहे थे कि एक न एक दिन अपनी मंजिल बिलासपुर तक पहुंच ही जाएंगे. इलाहाबाद और शहडोल के बीच करीब साढ़े तीन सौ किलोमीटर का फासला है. ऐसे में जब इन नन्हे बच्चों के साथ मजूदरों का ये जत्था शहडोल सीमा में दाखिल हुआ तो एसपी सत्येंन्द्र कुमार और हेडक्वार्टर डीएसपी वीडी पांडे ने एएसआई रजनीश तिवारी को निर्देश दिया. रजनीश तिवारी अपनी टीम के साथ उन मजूदरों के पास बस स्टैंड पहुंच और उनकी हालातों को देखते हुए उनका हाल पूछा.
जिसके बाद मजदूरों ने बताया कि वो और उनके बच्चे काफी दिनों से भूखे हैं. लॉकडाउन की वजह से वहां खाने के लिए ज्यादा कुछ तो नहीं मिल पा रहा था लेकिन एएसआई रजनीश तिवारी ने अपनी टीम के साथ मौके पर ही एक केले के ठेले से सभी को केला दिलवाया, बिस्किट, नमकीन और पीने के पानी की व्यवस्था करवाई, सभी मजदूरों का मेडिकल चेकअप हुआ, और फिर उसके बाद उन्हें बिलासपुर जाने के लिए एक ट्रक में बिठाया, जिसके बाद उनके मंजिल के लिए उन्हें रवाना किया. ट्रक में बैठते ही बच्चों के चेहरे खिल गए, क्योंकि अब उन्हें आगे और कुछ दिन तक पैदल जो नहीं चलना पड़ेगा। वो घर आसानी से और जल्द ही पहुंचने वाले जो थे.