शहडोल।ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि बसंत पंचमी माघ शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन मनाया जाता है, अगर अंग्रेजी तारीख के हिसाब से चलें तो 26 जनवरी 2023 को बसंत पंचमी की तिथि है, इस दिन मां सरस्वती का पूजन का शुभ मुहूर्त 9:00 बजे से 11:00 बजे तक प्रातः कालीन है (Maa Saraswati Puja Date). इस मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी.
सुबह उठकर करें स्नान:ज्योतिषाचार्य बताते हैं की बसंत पंचमी के दिन जो भी जातक सरस्वती मां की पूजा करना चाहते हैं, वो प्रातः काल उठकर स्नान करें, स्नान करने के बाद तीन देवियां होती हैं जो महा शक्तियां कही जाती हैं, महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती, और बसंत पंचमी के दिन विशेष तौर पर सरस्वती माता का आवाहन होता है, क्योंकि सरस्वती जी का उस दिन जन्मोत्सव भी होता है जो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का आवाहन करते हैं, पूजन करते हैं प्रार्थना करते हैं, जैसे आम का बौर है या फिर पीला फूल, विशेष तौर पर आम का बौर है, बेर है, बेल है और जो ऋतु के अनुसार फल होते हैं, यह फल विशेष तौर पर चढ़ाये जाते हैं.
इस विधि से करें पूजा:विधिवत पूजन करने के लिए उस दिन प्रातः कालीन के समय में स्नान करने के बाद एक चौकी बनाएं, उसमें सरस्वती जी की मूर्ति रखें, पीला कपड़ा बिछाकर मिट्टी की मूर्ति या फिर कागज में मां सरस्वती की बनी हुई तस्वीर की मूर्ति हो रखें. विशेषकर विद्यार्थी लोग तो सरस्वती माता की पूजा करना बिल्कुल भी ना भूलें. मूर्ति स्थापित करने के बाद जल, दूध, दही, गंगाजल शहद, शक्कर से स्नान कराएं. स्नान कराने के बाद पीला चंदन सरस्वती जी के मस्तक पर लगाएं, बीच में लाल चंदन की रोली लगाएं, इसके बाद पीले फूल की माला पहनाएं, पीला चादर चढ़ाऐं. इसके बाद वहां पर अनेक प्रकार के ऋतु फल और जो भी फल मिल जाए वहां पर विशेष रूप से चढ़ाएं. आम का बौर या फल चढ़ाए, अगर यह ना मिले तो उसके पत्ते मां सरस्वती जी के पास रखकर उनका आवाहन करें, पूजन करें. इसके बाद हवन करें मां 'सरस्वत्यै नमः' ऐसे मंत्र का उच्चारण करते हुए जो विद्यार्थी 108 बार या कम से कम 11 बार आवाहन करता है, तो मां सरस्वती जी प्रसन्न होती हैं, वाणी देती हैं, बुद्धि देती हैं यश देती हैं, प्रतिष्ठा और बल यह पांच तत्व वहीं पर प्रदान करती हैं.