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अर्धनारेश्वर शिवलिंग का विशेष महत्व: शिव और शक्ति दोनों के होते हैं दर्शन - अर्धनारेश्वर शिवलिंग शहडोल

शहडोल जिले में अलौकिक और अविश्वसनीय अर्धनारेश्वर शिवलिंग है, जिसका वर्णन पुराणों में है. इस तरह के शिवलिंग का विशेष महत्व होता है.

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अर्धनारेश्वर शिवलिंग

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Published : Mar 10, 2021, 5:39 PM IST

शहडोल। वैसे तो भगवान शिव के भक्तों की कमी नहीं है. साल के 12 महीने शिवालयों में शिव भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन शिवालयों में भक्तों की एक अलग भक्ति देखने को मिलती है. कोई भी शिवालय हो वहां दूर-दूर से शिव दर्शन के लिए भक्त उमड़ते हैं. महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर हम बात कर रहे है ऐसे अद्भुत अर्धनारेश्वर शिवलिंग की जो देश में विरले ही मिलते हैं. इस तरह के शिवलिंग का विशेष महत्व होता है.

अद्भुत है ये अर्धनारेश्वर शिवलिंग
गुफा में गूंज रही घंटियों की ये आवाज अपने आप में ही एक अलग सुकून देती है. जब सामने अद्भुत अलौकिक अर्धनारेश्वर शिवलिंग हो तो वहां मन को एक अलग ही शांति का अहसास होता है. कहते हैं ऐसे अद्भुत शिवलिंग के दर्शन से ही सारे पाप धुल जाते हैं. मन पवित्र हो जाता है.

अर्धनारेश्वर शिवलिंग

जिला मुख्यालय से लगभग 35 से 40 किलोमीटर दूर लखबरिया धाम है, जहां अर्धनारेश्वर शिवलिंग के दर्शन होते हैं. गुफा के अंदर विराजे अर्धनारेश्वर अवतार में शिव की एक अलग ही महिमा देखने को मिलती है. आलम यह है कि महाशिवरात्रि के दिन तो यहां पैर रखने की जगह नहीं होती है. बड़े तादात में लोग अर्धनारेश्वर शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते हैं. कहा जाता है कि इस तरह के अद्भुत शिवलिंग के दर्शन बहुत विरले ही होते हैं.

अर्धनारेश्वर शिवलिंग

अद्भुत है इसकी कहानी
लखबरिया धाम के गुफा के अंदर स्थित इस शिवलिंग की खोज ही अद्भुत तरीके से हुई है. मुख्य पुजारी की अनुपस्थिति में पूजा में लगे तपस्वी रजनीश मिश्रा बताते हैं कि इस शिवलिंग की जानकारी तब लगी, जब महाराज करीब 28 से 30 साल पहले चतुर्मास व्रत पर थे. वहां उन्हें सपना आया कि यहां अद्भुत शिवलिंग है. इसके बाद शिवलिंग को निकाला गया.

अगर इसकी विशेषता की बात करें, तो रजनीश मिश्रा बताते हैं कि ऐसी शिवलिंग पूरे भारत में आपको कहीं भी नहीं मिलेगी. अमरनाथ में जो तीन रेखा बनती है, आप देखेंगे कि इस शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शक्ति के साथ गणपति समाहित है. इस तरह के शिवलिंग बहुत विरले ही मिलते हैं. ये तो अद्भुत और अद्वितीय शिवलिंग है.

अर्धनारेश्वर शिवलिंग
पांडव करते थे पूजातपस्वी रजनीश मिश्रा बताते हैं कि इस शिवलिंग को लेकर ऐसा माना जाता है कि लखबरिया धाम में पांडव अज्ञातवास के दौरान आए हुए थे. इस शिवलिंग की पूजा वह करते थे. इसी शिवलिंग की पूजा करके उन्होंने अपना राजकाज फिर से हासिल किया. हालांकि, सदियों गुजर जाने के बाद यह शिवलिंग गुफा के अंदर थी. इसकी जानकारी किसी को नहीं थी, क्योंकि गुफा भी धरती के अंदर थी, लेकिन महाराज को सपना आया, जिसके बाद खुदाई की गई. वहां पर अर्धनारेश्वर शिवलिंग का मिलना अपने आप में चमत्कार ही है. विशेष है अर्धनारेश्वर शिवलिंगतपस्वी रजनीश मिश्रा अर्धनारेश्वर शिवलिंग की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि अर्धनारेश्वर शिवलिंग के दर्शन करना तो 12 महीने विशेष होते हैं. भक्तों की हर मुराद पूरी होती है, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सारे पाप धुल जाते हैं. उन्होंने कहा कि अर्धनारेश्वर शिवलिंग में एक साथ शिव और शक्ति दोनों के दर्शन हो जाते हैं. इसके अलावा इस शिवलिंग में ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणपति के दर्शन भी हो जाते हैं.पुराणों में है वर्णनतपस्वी रजनीश मिश्रा की मानें, तो अर्धनारेश्वर शिवलिंग का वर्णन पुराणों में है. हर रेखाओं का अलग-अलग वर्णन अग्नि पुराण में मिलता है, जो अपने आप में ही अद्भुत, अलौकिक और अविश्वसनीय है.दूर-दूर से आते हैं लोगलखबरिया धाम में गुफा के अंदर स्थित अर्धनारेश्वर शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. महाशिवरात्रि के दिन तो यहां भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है. जैसे-जैसे अर्धनारेश्वर शिवलिंग की ख्याति के बारे में लोगों को पता चल रहा है, वैसे-वैसे लोग यहां दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. साल दर साल भक्तों की तादाद बढ़ती जा रही है.

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