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टिड्डी दल से हमले से कैसे करें बचाव, ईटीवी भारत ने की कृषि वैज्ञानिक से बातचीत

टिड्डी दल के आतंक से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है. एक ओर किसान लॉकडाउन से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर टिड्डी दल किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. फिलहाल टिड्डी दल शहडोल नहीं पहुंचा है, लेकिन इसके बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

Locust party terror
टिड्डी दल का आतंक

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Published : May 31, 2020, 11:51 AM IST

Updated : May 31, 2020, 1:51 PM IST

शहडोल।कोरोना काल में मध्यप्रदेश का किसान टिड्डी दल के टेरर से परेशान है. राजस्थान से मध्यप्रदेश आए टिड्डी दल ने आतंक मचा कर रखा है. टिड्डी दल ने प्रदेश के कई जिलों में किसानों के फसलों को बर्बाद कर दिया है. एक ओर किसान लॉकडाउन की वजह से परेशान है, वहीं टिड्डी दल के आतंक से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. फिलहाल टिड्डी दल शहडोल नहीं पहुंचा है, इसको लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

टिड्डी दल से बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक ने दिए टिप्स

सवाल - टिड्डी दल के शहडोल जिले में आने की कितनी संभावना

जवाब- टिड्डी दल के मौजूदा हालातों को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद सिंह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में इनके 8 से 10 दल चल रहे हैं. तीन दिन पहले संभावना थी कि शहडोल का ये जो ब्यौहारी वाला पार्ट है वहां पर टिड्डी दल आ सकता है. उसकी पूरी तैयारी में भी हम आ गए थे, लेकिन वो गोविंदगढ़ से रीवा मऊ गंज होते हुए वो यूपी चला गया. एक और टिड्डी दल जो पन्ना में रुका था. उसके भी आने की संभावना थी. चूंकि ये रास्ते में पड़ता है, लेकिन टिड्डी हमेशा हवा के भाव में चलते हैं, तो ये चित्रकूट की ओर निकल गया. एक दल अभी दमोह के जवेरा में है. जिसके कटनी में रात में रुकने की संभावना है अब उसका रुट देखना पड़ेगा. उसके आने की संभावना बन सकती है. इसके लिए प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है. इसके लिए पूरी टीम बना दी गई है और हम लोग एक दूसरे के संपर्क में है अभी तक तो हमारे यहां टिड्डी दल का किसी भी तरह का ऐसा कोई भी आक्रमण नहीं हुआ है और अगर कुछ भी होता है तो उसके लिए तैयारी पूरी है.

सवाल- कितना खतरनाक है ये टिड्डी दल

जवाब- कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद सिंह का कहना है कि जहां तक टिड्डी दल से नुकसान की बात है तो ये टिड्डी दल का जो एक ग्रुप होता है वो करीब 2 किलोमीटर चौड़ा और 5 किलोमीटर लंबा होता है. इसमें करोड़ों की संख्या में टिड्डी होते हैं ये जहां कहीं भी रुकते हैं, वहां जो कुछ भी हरी वनस्पति होती है जो भी हरा दिखता है उनको वो सबकुछ खा लेते हैं और अपने वजन के बराबर ये खाते हैं. तो ये आप समझिए कि जो बगीचे हैं सब्जियां हैं या फिर जो कुछ भी इनको हरा दिखता है. ये लोग सफाचट कर जाते हैं. कई सालों के अंतराल में इनका प्रजनन ज्यादा हो जाता है. तो ये अफ्रीका से चलते हैं वहां से होते हुए अरब कन्ट्रीज और अरब कन्ट्रीज से पाकिस्तान और पाकिस्तान से यहां आते हैं. तो आप ये समझिए कि ये भी एक तरह से तबाही ही है. जहां जहां रुकते हैं इनकी मादा अपने जमीन के अंदर 500 से 1500 तक एक मादा अंडे दे देती है. वो और ज्यादा घातक हैं. इनकी 5 स्टेज होती हैं. अगर इनको हमने मार भी दिया, लेकिन इन्होंने अगर अंडे दे दिये हैं तो ये खरीफ की फसल में काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाएगे. खासकर दलहनी फसलों के लिए तो ये और ज्यादा घातक है.

सवाल - टिड्डी दल से किसान फसलों को बचाए

जवाब-डॉ. मृगेंद सिंह बताते हैं कि इससे बचाव के तरीके ये है की आप जितना शोर मचाएंगे, थाली पीटेंगे या नगाड़े बचाएंगे, शोर करने पर ये टिड्डी दल वहां रुकती नहीं है. आगे निकल जाती है और जहां कहीं भी ये रुकती है वहां पर दवाइयों का छिड़काव या फायर ब्रिगेड और ड्रोन पावर स्प्रेयर के जरिये इन पर छिड़काव करते हैं. तो काफी हद तक ये कंट्रोल हो जाती हैं.

गौरतलब है कि टिड्डी दल का आतंक इन दिनों इस कदर है कि प्रशासन की पूरी नज़र इसके हर एक मूवमेंट पर है. कृषि वैज्ञानिक भी लगातार इस पर नज़र बनाये हुए हैं. टिड्डी को अलग अलग जगहों पर अलग अलग नाम से जाना जाता है. ये छोटा सा टिड्डी अपने समूह में आकर इतना बड़ा नुकसान करता है. जिसने पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा दिया है.

Last Updated : May 31, 2020, 1:51 PM IST

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