शहडोल। शहडोल जिला अस्पताल में मासूमों की मौत का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है. मंगलवाल को दो और मासूमों की मौत हो गई है. एक के बाद एक अब तक जिला अस्पताल में 8 मासूमों की मौत हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक यहां आने वाले सभी नवजात गंभीर अवस्था में आते हैं. मंगलवार को जिन दो बच्चों की मौत हुई है, वे दोनों बच्चे अनूपपुर जिले के ठाठ पाथर और हर्रा टोला गांव से गंभीर अवस्था में इलाज के लिए शहडोल जिला अस्पताल लाए गए थे. लगातार हो रही इन मौतों ने स्वास्थ्य महकमे पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. ऐसे सवालों का जवाब जानने के लिए ETV भारत की टीम ने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन बीएस बारिया के साथ बातचीत की.
सवाल: आखिर क्या वजह है जो लगातार जिला अस्पाल में नवजातों की मौत हो रही है?
जवाब:27 नवंबर से 30 नवंबर के बीच 8 नवजातों की मौत हुई है. इनमें 5 शहडोल जिले से, 2 अनूपपुर और एक उमरिया के नवजात शामिल हैं. सिविल सर्जन बीएस बारिया का का कहना है कि जब से शहडोल में मेडिकल कॉलेज बना है, तब से सभी नवजात रेफर होकर शहडोल जिला अस्पताल आते हैं.
सवाल: गंभीर अवस्था में नवजातों को किया जाता है दाखिल. अब तक कौन-कौन सी अवस्थाओं में बच्चों को किया गया है दाखिल?
जवाब:ज्यादातर बच्चे यहां क्रीटिकल कंडीशन में ही दाखिल होते हैं. अनूपपुर से जो दो नवजात आए थे, वे दोनों ही सीरियस थे. दोनों को वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन देर रात दोनों एक्सपायर हो गए.
सवाल: आखिर क्यों गंभीर अवस्था में ही जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं लोग?
जवाब:मरीज इतनी गंभीर अवस्था में आते हैं, कि हम उनको कहीं रेफर नहीं कर पाते हैं. हम चाहकर भी उन्हें जबलपुर-रीवा नहीं भेज पाते, क्योंकि वहां पहुंचने के लिए करीब पांच घंटे का सफर तय करना होगा. मरीजों की कंडीशन इतनी अच्छी नहीं होती कि उन्हें वहां रेफर किया जा सके. इसके साथ ही मरीजों के अभिभावक भी इतने गरीब रहते हैं कि वो मरीज को कहीं और नहीं ले जाना चाहते हैं.