सिवनी। इंदिरा गांधी जिला अस्पताल में अनियमितताओं को लेकर शुक्रवार को लेकर यूथ विंग समर्पण युवा संगठन के सदस्यों ने कचहरी चौक में एकत्रित होकर कलेक्ट्रेट तक मौन रैली निकाली. इसके बाद कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास को ज्ञापन सौंपा. वहीं मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को सिवनी जिला अस्पताल की समस्याओं से अवगत कराते हुए उनके निज निवास पर स्पीड पोस्ट किया. संगठन का कहना है कि जिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर अनदेखी की जा रही है, जिसमें लोगों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है. इसलिए इस व्यवस्था को तत्काल ठीक किया जाना चाहिए.
सुविधाओं की कमी
ज्ञापन के जरिए संगठन अध्यक्ष आशीष माना ठाकुर ने बताया कि वर्तमान में आईसीयू में निर्माण कार्य चल रहा है. जिससे आईसीयू वार्ड बंद है, हार्ट के मरीजों के उपचार के लिए जब तक आईसीयू नहीं बन जाता, तब तक के लिए उसकी वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए. इसके साथ ही हार्ट के मरीजों को रात में इमरजेंसी कक्ष में ही इसीजी की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए. हालांकि वर्तमान में वहां इसकी व्यवस्था है, लेकिन यह केवल वीआईपी लोगों को ही उपलब्ध कराई जाती है. अस्पताल में व्हील चेयर की कमी से अस्वस्थ, बुजुर्ग और हार्ट पेशेंट के मरीजों को असुविधा होती है, इसकी संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए. इसी तरह अस्पताल में बेड की कमी भी है, बेड की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए. कई वार्डों की छत से पानी टपक रहा है, जिससे बारिश के समय मरीजों को परेशानी होती है. इसी के साथ अस्पताल में बेहद जरूरी इको जांच की सुविधा भी नहीं है, जिससे हार्ट पेशेंट को भटकना पड़ रहा है.
महिलाओं को ज्यादा समस्याएं
गरीब गर्भवती महिलाएं बड़ी संख्या में उपचार के लिए महिला ओपीडी में आती हैं. हर बार उपचार के लिए अस्पताल में चिकित्साधिकारी बदल जाती है. जिससे मरीजों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा थायराइड टेस्ट भी नहीं हो रहा है, महिलाओं में यह बीमारी सबसे अधिक होती है. जिससे गरीब महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. संगठन ने मांग की है कि अस्पताल में यह टेस्ट सुनिश्चित किया जाना चाहिए. वहीं अस्पताल में सोनोग्राफी पांच माह से बंद है. लेकिन अस्पताल प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है.
नशे में वार्डबॉय करते हैं अभद्रता
ज्ञापन में लिखा गया है कि जिन चिकित्सकों की ड्यूटी है, वे संबंधित मरीज के अस्पताल पहुंचने के बाद भी नहीं आते हैं. ऐसे चिकित्सकों पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि वह ज्यादा समय अपने प्राइवेट क्लिनिक में बिताते हैं. संगठन के कार्यकर्ताओं ने बताया कि मरीजों के परिजनों के प्रति नर्सों का व्यवहार अभद्रता पूर्वक रहा है, लेकिन कई बार शिकायत करने के बाद भी स्टाफ नर्स के हौंसले बुलंद रहते हैं. रात के समय भी जो वार्ड बॉय अपनी ड्यूटी पर होते हैं, उनके द्वारा भी कई बार मरीजों के परिजनों के साथ विवाद की स्तिथियां बनी हैं, क्योंकि वार्ड बॉय अधिकतर नशे की हालत में होते हैं, इसके कारण कई बार हाथपाई जैसी घटनाएं हो जाती हैं.
आंदोलन की चेतावनी
संगठन द्वारा कड़े शब्दों में कहा गया कि वर्तमान समय में मेल व फीमेल वार्ड में ही हार्ट के मरीजों का उपचार हो रहा है, जो कि नियमानुसार सही नहीं है. हार्ट के मरीजों के लिए अलग से वार्ड की वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए. साथ ही जिला अस्पताल में मरीजों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इन गंभीर विषयों पर तुरंत कार्रवाई की जाए, अगर ऐसा नहीं किया गया तो संगठन संगठन चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेगा.