सिवनी। मध्यप्रदेश शासन द्वारा चलाई जा रही गरीब-श्रमिकों के लिए शासकीय जनकल्याण योजनाओं को सरकारी कर्मचारी ही पलीता लगा रहे हैं. जिले में ऐसा मामला सामने आया है जहां शासकीय अफसर और कर्मचारियों ने लोगों के घर-घर जाकर भौतिक सत्यापन न करते हुए ऑफिस में ही बैठकर मनमर्जी से कई पात्र श्रमिकों के नाम जनकल्याण पोर्टल से हटा दिए हैं.
पात्र मजदूरों को जनकल्याण योजनाओं से किया अपात्र, नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ - public welfare schemes
सिवनी की ग्राम पंचायत छपारा में हितग्राही-पात्र मजदूरों को जनकल्याण योजनाओं से अपात्र करने का मामला सामने आया है.
ये मामला जिले के छपारा ग्राम पंचायत का है जहां एक गरीब श्रमिक जो रिक्शा चलाता था, उसका कुछ दिनों पहले निधन हो गया. जिसके बाद जब उसका परिवार शासकीय अंत्येष्टि राशि लेने के लिए जनपद कार्यालय गया तो उन्हें बताया गया कि मृतक का नाम जनकल्याण पोर्टल में है ही नहीं. जिस कारण उन्हें सहायता राशि नहीं दी जा सकती. जबकि मृतक के नाम गरीबी रेखा के अंर्तगत कार्ड भी बना हुआ है. ऐसे गरीब श्रमिक का नाम जनकल्याण पोर्टल में न होना सरकारी तंत्र में बड़े सवाल खड़े करता है.
वहीं जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत छपारा में 4282 नाम श्रमिकों के रूप में जोड़े गए थे, जिसमें 1 जुलाई 2019 में भौतिक सत्यापन की कार्रवाई की गई तो 3409 श्रमिकों को अपात्र घोषित कर हटा दिया गया था. इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. वहीं जब इस पूरे मामले को लेकर मीडिया टीम ने जनपद पंचायत CEO से बात की तो उन्होंने जांच कराने का आश्वासन दिया.