सिवनी। जिले के घंसौर विकासखण्ड में बरगी बांध के मुहाने पर बसा पायली दूर-दूर से आने वाले सैलानियों का मन मोह लेता है. 25 दिसंबर 2016 को तत्कालीन और वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी सुंदरता को देखते हुए हनुमंतिया की तरह इस क्षेत्र के विकास की बात कही थी, लेकिन आज चार साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस स्थान तक पहुंचने के लिए मार्ग नहीं बन पाया है. कच्चा मार्ग होने की वजह से यहां आने वाले सैलानियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
CM की घोषणा के बाद भी नहीं बदली पायली की तस्वीर, कच्ची सड़क होने से सैलानियों को रही परेशानी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हनुवंतिया टापू की तर्ज पर बरगी बांध के नजदीक प्राकृतिक खूबसूरती से घिरे पायली को विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस स्थान तक पहुंचने के लिए मार्ग भी नहीं बन पाया है. कच्चा मार्ग होने की वजह से यहां आने वाले सैलानियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
बरगी बांध के डूब इलाके में बसा पायली प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध है. नदी के निर्मल नीर पर स्थित टापू और उस पर बना रेस्ट हाउस लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंडला, सिवनी और जबलपुर जैसे जिलों से लोग यहां पर आते हैं और प्रकृति के रंग में डूबकर रह जाते हैं. इस स्थान के विकास के लिए कई घोषणाएं समय-समय पर की गईं, लेकिन आज तक उन पर अमल नहीं हो पाया है. टूरिस्ट अभी भी जोखिम उठाकर यहां आते हैं. पायली पहुंचने वाले मार्ग की दुर्दशा देखकर कई टूरिस्ट बरगी से ही वापस लौट जाते हैं.
सिवनी मुख्यालय से करीब 150 किमी की दूरी पर स्थित है पायली, बरगी बांध से इसकी दूरी करीब 16 किमी है. नर्मदा नदी में कई टापू बने हैं. एक टापू पर अंग्रेजों के जमाने का गेस्ट हाउस बना है, जहां टूरिस्ट नाव से पहुंचते हैं. पूरा क्षेत्र जंगल से घिरा है. यहां सिवनी जिले की सीमा लगती है. पायली में ही ऊंचाई पर वन विभाग का गेस्ट हाउस बना है. सीएम शिवराज ने यहां पर रात गुजारी थी, जब सुबह नर्मदा का दर्शन किया, तो धुंध में जंगल के बीच बने टापू देखकर मोहित हो गए. जिसके बाद फैसला किया कि, हनुवंतिया की तर्ज पर ही यहां भी वाटर स्पोर्ट्स और अन्य गतिविधियां टूरिस्टों के लिए आयोजित की जाएंगी. पायली को बड़े स्तर पर डेवलप किया जाएगा. पायली को इको टूरिज्म के तहत डेवलप किया गया है. यहां वन विभाग का रेस्ट हाउस भी बनाया गया, लेकिन घंसौर से पायली के लिए जाने वाले रास्ते को अभी तक नहीं बनाया गया है. जिसके कारण यहां आने वाले सैलानियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. लोगों का कहना है कि, यदि प्रशासन थोड़ी बहुत सुविधाओं में इजाफा कर दे, तो सोने पर सुहागा हो जाएगा.