सिवनी। गाजा-बाजा डांस और धूमधड़ाका ये किसी शादी या फंक्शन का नजारा नहीं. बल्कि इंद्रदेव को खुश करने के लिए लंबे समय से चली आ रही परंपरा को बदस्तूर निभाया जा रहा है. इंद्रदेव को खुश करने के लिए टोटके का सहारा लिया जा रहा है. दरअसल सूबे के कई जिलों में अभी तक इंद्रदेव मेहरबान नहीं हुए हैं. प्रदेश के कई जिलों में इस साल बारिश नहीं हुई. बारिश नहीं होने से किसानों की फसल चौपट हो रही है और चेहरे की मुस्कान गायब है. लिहाजा पेरशान किसान अब बारिश के लिए टोटके का सहारा ले रहे हैं.
मेंढक और मेंढकी की शादी, बारिश के लिए MP में टोटके जारी !
समय पर बरसात न हो तो मानो इंद्रदेव नाराज हैं, और जब इंद्रदेव नाराज हैं तो जाहिर है कि उन्हें मनाने के लिए भी प्रयास किए जाएंगे ही. मानसून को लेकर कुछ ऐसी ही धारणा लोगों में सदियों से हैं. इसी के चलते बारिश के लिए टोटकों का सहारा लेने की परंपरा बन गई है. ऐसा ही कुछ सिवनी जिले के छपारा में देखने को मिला जहां इंद्रदेव को मानने के लिए क्षेत्र में तरह-तरह के प्रदर्शन पूजा अर्चना कर किए जा रहे हैं
सिवनी में परंपरा के मुताबिक लोग अच्छी बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी करा रहे हैं. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से इंद्र देवता प्रसन्न होकर अच्छी बारिश कराएंगे और उनकी सूख रही फसल फिर लहालहा उठेगी. परंपरा के मुताबिक लोगों ने सबसे पहले मेंढक-मेंढकी की पालकी बनाकर बारात निकाली. खास बात ये है कि मेंढक और मेंढकी की पालकी बच्चों के कंधों के सहारे ही निकलती है...वो बिना कपड़े पहने हुए.बारात के मंदिर तक पहुंचने तक गांव के लोग ढोल की थाप जमकर थिरकते है.
ग्रामीण मूसल में बंधे मेंढक और मेंढकी को पानी थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाते रहते है, इसके पीछे मान्यता है कि मेंढक जितना तड़पते हैं, भगवान इंद्र देव को उतना ही दर्द होता है. मेंढक की इस तड़पन को दूर करने के लिए भगवान इंद्रदेव बारिश करने लगते हैं. सिवनी में अच्छी बारिश के लिए टोटकों का भले ही सहारा लिया जा रहा हो...लेकिन हम आपको यहां साफ कर देना चाहते हैं कि ये महज परंपरा है इसके सिवाय कुछ नहीं...ईटीवी भारत लोगों से यही अपील करता है कि आप पौधे लगाइए बारिश अपने आप होगी.