सिवनी।काेराेना वायरस के संक्रमण और लाॅकडाउन के चलते जहां जीवन थम सा गया है, वहीं कई लोगों के जीवन पर इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ा है. राेजगार नहीं मिलने से लाेग मजबूरी में अपना पेशा तक बदल रहे हैं. सिवनी में एक परिवार ऐसा है, जिसे लाॅकडाउन में जब काेई राेजगार नहीं मिला ताे अपना और परिवार का पेट पालने के लिए अतिथि शिक्षक मजदूर बन गया. लिहाजा जिन हाथाें में लॉकडाउन के पहले तक कलम हुआ करती थी, आज उन्हीं हाथों में फावड़ा है.
लॉकडाउन का कहर: मजबूर होकर अतिथि शिक्षक ने पेट पालने के लिए मनरेगा में शुरू किया काम - शिक्षक ने शुरू किया मनरेगा में काम
काेराेना वायरस के संक्रमण और लाॅकडाउन के चलते रोजगार नहीं मिलने से जहां पहले जिन हाथों में कलम हुआ करती थी, अब वे हाथ परिवार का पेट पालने के लिए मजबूरन मनरेगा में काम कर रहे हैं. ताकि परिवार को दो वक्त की रोटी मिल सके.
पूरा मामला सिवनी जिले के लखनादौन तहसील अंतर्गत बैगापिपरिया संकुल के एक प्राइमरी स्कूल का है. जहां अतिथि शिक्षक के पद पर कार्यरत 26 वर्षीय सर्मन उर्फ रामा इनवाती बैगा पिपरिया संकुल के प्राथमिक शाला में अतिथि शिक्षक था. इसने बीए पास करने के बाद डीएलएड करने के बाद सपना देखा था कि वह एक अच्छा शिक्षक बने, लिहाजा कुछ हद तक उसका सपना पूरा भी हुआ और पास के गांव में अतिथि शिक्षक की नाैकरी मिल गई थी लेकिन प्रदेश सरकार ने 30 अप्रैल काे सभी अतिथि शिक्षकाें काे कार्यमुक्त कर दिया, जिसमें सरमन की भी नाैकरी चली गई.
वहीं लाॅकडाउन लगने से उसे कहीं नाैकरी भी नहीं मिली. अब अपने परिवार का गुजारा करने के लिए उसने गांव में ही मनरेगा में मजदूरी का काम करना शुरू कर दिया है. जिससे परिवार का पेट भर सके. सरमन का कहना है कि शिक्षक था ताे उसे 5 हजार रुपए महीना वेतन मिलता था, यहां 180 रूपये रोजाना मजदूरी मिल रही है. परिवार का पेट पालना था ताे कलम छाेड़कर मजदूरी के लिए फावड़ा उठा लिया, जिससे की परिवार चल सके.