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बाढ़ से हुई तबाही के बाद छलका पीड़ितों का दर्द, सरकार से मदद की लगा रहे गुहार - Flood victims seek help

पिछले हफ्ते एमपी में आई बाढ़ से कई लोगों को नुकसान हुआ है. लोग बाढ़ की वजह से घर में रखा जरुरी सामान भी नहीं निकाल पाए. ऐसे में बाढ़ पीड़ितों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. पढ़िए पूरी खबर...

Flood devastation
बाढ़ से तबाही

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Published : Sep 3, 2020, 8:05 PM IST

Updated : Sep 3, 2020, 9:58 PM IST

सिवनी । केवलारी तहसील और आसपास के गावों में आई बाढ़ ने सैकड़ों परिवारों को तबाह कर दिया. किसी का आशियाना उजड़ गया तो किसी की पढ़ाई-लिखाई की दौलत और किसानों की फसल बर्बाद हो गई. बोथिया में रहने वाली संध्या सरोतिया की आंखों से गिरते आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. उसकी जीवन भर की पूंजी बाढ़ निगल गई. संध्या सिलाई मशीन से कपड़े सिल कर परिवार का भरण पोषण कर रही थीं, लेकिन बाढ़ में उसकी मशीन भी बह गई. ऐसे में अब उसके दोनों हाथ खाली हैं और सारा दर्द आंसुओं के सैलाब से उमड़ कर बह रहा है.

बाढ़ से हुई तबाही के बाद छलका पीड़ितों का दर्द

'कच्चा ही सही, लेकिन था तो अपना ही घर'

केवलारी में रहने वाली 70 साल की बुजुर्ग अहराम बी रुंधे गले से कहतीं हैं कि उन्होंने पहले कभी ऐसी बाढ़ नहीं देखी. दो कमरे में अकेली जिंदगी चल रही थी, लेकिन अब वे भी नहीं बचे हैं, जबकि रशीदा का भी रो-रोकर बुरा हाल है, क्योंकि बाढ़ से घर का सारा सामान अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं. बाढ़ के तेज बहाव से मक्का और धान की फसल चौपट हो गई है. ऐसे में सभी को सरकार से नुकसान के मुआवजे की उम्मीद है.

बाढ़ से बर्बादी

ना राशन, ना गैस दूसरे के घरों में डेरा

केवलारी, बोथिया, मलारा और देवकरण टोला में बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि सुबकुछ खत्म सा हो गया. अफरा-तफरी के माहौल में लोग बस अपनी और अपनों की जान बचाने की जद्दोजहद में लगे रहे. पीड़ित ज्योति के पास न तो राशन का सामान बचा न ही गैस. ऐसे में ईंट रख कर बनाया चूल्हा ही पेट की आग शांत कर रहा है.

लोगों के टूटे आशियाने

जाचं की उठी मांग

वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर महोबिया का घर बोथिया में है और इस इलाके में बाढ़ से बहुत नुकसान हुआ है. उनका कहना है कि बिना अलर्ट के भीमगढ़ बांध के सारे गेट कुछ घंटे के ही अंतराल में खोल दिए गए, जिससे कई गांव इसकी चपेट में आए और भारी नुकसान हुआ. इस मामले में विभाग की लापरवाही की जांच होनी चाहिए. वहीं अगर बात प्रशासन की मदद की करें तो जिले में 23 राहत शिविर लगाए गए हैं, जिनमें 2207 लोग रुके हुए थे, जबकि 1959 लोग अब भी इन राहत शिविरों में रुके हैं. 29 और 30 अगस्त को आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. सर्वे कर आंकड़े जुटाने में प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.

घर हुए तबाह

किसने क्या खोया

  • 399 मकान पूरी तरह से बर्वाद हो गए हैं
  • 411 मकान गंभीर रूप से बर्बाद
  • 1792 मकान आंशिक रूप से छतिग्रस्त
  • 105 पशुओं के कोठे पूरी तरह से छतिग्रस्त
  • करीब 28 हजार हेक्टेयर फसल तबाह
  • 26 हजार के करीब किसान प्रभावित हुए

हर तबाही अपने साथ ऐसे जख्म लेकर आती है, जो ताउम्र नहीं भरते. लोगों को मुआवजा भी मिल जाएगा, आशियाने फिर बन जाएंगे, लेकिन लोगों की यादें और घर में बिताए हुए वो पल उन्हें कोई नहीं दे सकता है. हर किसी ने वो सब कुछ खोया है, जो उन्हें शायद ही कभी वापस मिले. बाढ़ पीड़ितों की मानें तो तबाही का मंजर दिल को झकझोर देने वाला है.

Last Updated : Sep 3, 2020, 9:58 PM IST

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