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भीमगढ़ गांव में 25 आशियानों पर बाढ़ का कहर, 4 दिन बीतने के बाद भी प्रशासन की ओर से नहीं पहुंची राहत - धराशाई हुआ मकान

सिवनी जिले के भीमगढ़ में संजय सरोवर बांध के पानी से हुई तबाही से गांव के कई लोगों के घर खराब हो गए हैं, जिससे उन्हे गांव में ही निजी स्कूल में बने शिविर में ठहराया गया है वहीं ऐसे लोग सरकार से तत्काल राहत राशि की अपील कर रहे हैं.

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सिवनी न्यूज

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Published : Sep 5, 2020, 4:33 PM IST

सिवनी।जिले में 28-29 अगस्त को छोडे़ गए भीमगढ़ स्थित संजय सरोवर बांध के पानी से हुई तबाही का मंजर देख गांव के ग्रामीण सहम गए. जहां 25 मकान तेज पानी के बहाव के कारण जमींदोज हो गए, वहीं गृहस्थी का सारा सामान भी पानी के बहाव के साथ बह गया, लोगों के घरों में रखा अनाज भी पानी के साथ बह गया जो फिलहाल अपना आशियाना मिट जाने पर सरकार की तरफ मदद के लिए राह देख रहे हैं लेकिन अब तक यहां कोई राहत नहीं पहुंची है. लगभग 60 की संख्या में पुरुष अपने परिवार की महिलाओं व बच्चे सहित एक गांव के निजी स्कूल में बनाए गए अस्थाई राहत शिविर में वह रहे हैं, जहां स्थानीय ग्राम पंचायत व ग्रामीणों की मदद से दो वक्त के भोजन की व्यवस्था की गई है.

5 दिन बाद जब सभी अपने-अपने घरों को लौटे और उजड़े हुए मकानों को देख कर उचित मुआवजे के लिए प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. वहीं भीमगढ़ बस्ती के कई दुकानदार जिसमें सीमेंट, दवाई ,किराना व ऑटो पार्ट्स की दुकानें हैं, उनका भी ज्यादातर माल पानी की चपेट में आने से खराब हो गया है. जहां बीते दिनों में सिर्फ राजस्व विभाग की ओर से सर्वे किया जा रहा है और लोगों को त्वरित रूप से मुआवजे की आस प्रशासन व सरकार से लगी हुई है, पर जिला प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार के राहत की कोई खबर आज तक नहीं सामने आई है.

5 दिनों से बन्द है बिजली

भीमगढ़ ग्राम की पिछले 5 दिनों से बिजली बंद है जो एक परेशानी का सबब ग्रामीणों के लिए बनी हुई है. वहीं भीमगढ़ डैम से छोड़े गए पानी के अधिक बहाव के कारण ग्राम में लगा ट्रांसफार्मर धराशाई हो गया है, वहीं विद्युत मंडल की ओर से स्थानीय विद्युत कर्मचारी आवाजाही कर रहे हैं पर सुधार कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है.

रास्ता भी हुआ बन्द

इस गांव का मुख्य रास्ते का पुल तेज बहाव में बहने से एक रास्ता तो बंद हो चुका है, जबकि ग्राम का दूसरा रास्ता भुमका बाबा सड़क जो ग्राम को दूसरे ग्रामों से संपर्क के लिए अहम मार्ग है लगभग 300 मीटर का रास्ता भी पानी के तेज बहाव के चलते गहरे गड्ढे में तब्दील हो गया है, जिससे दो पहिया वाहन की भी आवाजाही नहीं हो पा रही है और वर्तमान में लोग पास की पहाड़ी के नहर वाले रास्ते से आवाजाही कर रहे हैं, जिस पर भी कीचड़ के कारण लोगों के वाहन फंस रहे हैं ग्रामीणों की ओर से प्रशासन द्वारा मदद की अपील की गई है.

डैम का पानी छोड़ने के पहले समय पर सूचना नहीं मिलने से हुआ ज्यादा नुकसान

शिविर में रह रहे ग्रामीणों ने बताया कि अगर बांध में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारी समय पर इतनी तादाद में पानी छोड़े जाने की सूचना दे देते तो जितना नुकसान अभी हुआ है उतनी नहीं होती, अधिकांश सामान सुरक्षित स्थानों पर वे ले जा पाते. वहीं डैम में पदस्थ एसडीओ उदय भान मर्सकोले का कहना है कि पानी को छोड़ने को लेकर गाइडलाइन के अनुसार ही कार्य कर रहे थे, इतनी तेजी से पानी का बहाव आना विपरीत स्थिति को निर्मित कर गया जहां 2 लाख 25 हजार क्यूसेक प्रति सेकंड पानी दसों गेटों को खोल कर छोड़ना पड़ा.

इनके घर पूरी तरह उजड़े

बालकराम यादव, बालचंद यादव, श्यामा बाई, संतोष रजक, नंदू प्रजापति, अनीता रजक, राजकुमार रजक, दशरथ यादव, राजकुमारी यादव, अमर सिंह, रघुवीर यादव, हरलाल साहु, नत्थू लाल प्रजापति, भूपेंद्र प्रजापति, सहरू यादव, प्रहलाद यादव, शिव प्रसाद चौहान और शमसिंह अहिरवार ये वे ग्रामीण हैं जिनका मकान धराशाई पूरी तरह से हो चुका है.

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