सीहोर। प्रदेश के कई ऐसे जिले हैं जहां अस्पताल तो हैं लेकिन उनमें डॉक्टर नहीं. बुधनी के लाड़कुई गांव में भी कुछ ऐसा ही हाल है. यहां 20 बिस्तरों का अस्पताल तो काफी दिनों से है लेकिन यहां एक भी डॉक्टर नहीं है जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मरीजों को अपने इलाज के लिए झोलाझाप डॉक्टरों के भरोसे रहना पड़ता है.
अस्पताल तो है लेकिन डॉक्टर नहीं अस्पताल को कब मिलेगा डॉक्टर ?
लाड़कुई क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पर आदिवासी समाज के लगभग 40-45 गांव लगे हुए हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को बने हुए 8-10 साल हो गए हैं लेकिन यहां हमेशा ही डॉक्टरों की रहती है, यहां के ग्रामीणों को स्वास्थ्य खराब होने पर झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है.
सिर्फ एक डॉक्टर के सहारे था अस्पताल
पहले अस्पताल में एक डॉक्टर पदस्थ था. जो अस्पतालत में महज 6 घंटे ही रहता था. उसके बाद ये अस्पताल भगवान भरोसे चलता था. अगर इस बीच कोई अनहोनी हो जाए तो झोलाझाप डॉक्टर ही एक मात्र सहारा है. नहीं तो कई किलोमीटर दूर नसरुल्लागंज स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है.
पूर्व सीएम शिवराज पर भी उठ रहे सवाल
ये क्षेत्र पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का है जो प्रदेश में विकास का बखान करते रहे लेकिन अपने ही क्षेत्र का विकास नहीं करा पाए. इसी तरह वर्तमान सरकार और वहां के प्रशासन पर भी सवाल उठता है कि वो इस मामले को सज्ञांन में क्यों नहीं ले रहा हैं.
नसरुल्लागंज ब्लॉक सीएमओ मनीष सारस्वत ने बताया कि हम डॉक्टरों की व्यवस्था कर रहे हैं. सरकार यूं तो आदिवासिओं को लेकर लाखों घोषणाएं करती है, कई वादे करती है लेकिन जमीनी हकीकत देखी जाए तो जीरो साबित हो रहे हैं.