सीहोर।मध्यप्रदेश की हृदयस्थली पुण्य सलिला मां नर्मदा के तट से सीहोर जिले से 110 किलोमीटर दूरी पर विंध्याचल की हसीन वादियों में प्रकृति ने अपनी अनमोल छटा बिखेर रखी है. यहां देवीधाम सलकनपुर है. प्रसिद्ध सलकनपुर धाम में इस नवरात्रि के पावन पर्व में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है. दो सालों से महामारी की वजह से भक्तों के लिए कपाट बंद थे. नवरात्रि के पावन पर्व पर लाखों की संख्या में भक्त शक्ति की आराधना करने पहुंचते हैं. मां के दरबार में नवरात्रि के मौके पर लगभग डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंचते हैं. (shardiya navratri 2022) (sehore bijasan devi temple)
पहाड़ों पर विराजमान है मां बिजासन देवी:चारों ओर मनोहारी पर्वत श्रृंखलाएं हैं, जिनमें एक पर्वत पर मां विंध्यवासिनी विजयासेन देवी का भव्य मंदिर बना हुआ है. शारदीय और चैत्रीय नवरात्रि में मां की चौखट पर माथा टेकने दूरदराज से लाखों लोग आते हैं. हरियाली से भरे इस 800 फीट ऊंचे पर्वत पर अलौकिक सौंदर्य के बीच मां की सुंदर प्रतिमा के दर्शन, परिक्रमा, वंदना, स्तुति कर अपने मन की मुरादें पूरी पाते हैं. माना जाता है यहां जो भी भक्त मनोकामना मांगते हैं वो पूरी होती है. (durga puja 2022)
विजयासन शक्तिपीठ बेहद प्रसिद्ध:ऐतिहासिक रूप से पौराणिक कथाओं के आधार पर नर्मदा परिक्रमा और नर्मदा तीर्थों का सेवन महाभारत काल से पूर्व से इस विजयासन शक्तिपीठ की प्रसिद्धि रही है. इस संदर्भ में स्कंद पुराण के अवंति खंड के रेवा खंड में वर्णित नेमावर तीर्थ को नाभि क्षेत्र कहा गया है. जिस सिद्धेश्वर वैष्णवी देवी तीर्थ का उल्लेख है, वह विंध्य पर्वत पर विराजमान माता हैं. भगवान श्रीकृष्ण की बहन की स्तुति और चर्चा विजया देवी के नाम से अनेक पुराणों में है, जिससे स्पष्ट है कि पौराणिक कथाओं के आधार पर नर्मदा क्षेत्रीय तीर्थ सलकनपुर में जो विजया शक्तिपीठ है वह अतिप्राचीन और पौराणिक मान्यताओं में देवीधाम सलकनपुर के विजयासन शक्तिपीठ की स्वयंभू घोषणा को प्रमाणित करता है. (sehore bijasan devi temple between mountains)