हैदराबाद। मध्यप्रदेश का सबसे चर्चित और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर की चार विधानसभाओं में बीजेपी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद मचा सियासी तूफान अब लगभग थम सा गया है. पार्टी ने जिले की चार विधानसभाओं में पनप रहे बगावती सुर पर लगाम लगाते हुए, डैमेज कंट्रोल कर एकता का संदेश देने का काम फिलहाल किया है. जिन दो विधानसभाओं की हम बात कर रहे हैं, उनमेंएक जिला मुख्यालय की सीहोर विधानसभा सीट है, तो दूसरी आष्टा विधानसभा है.
बाकी, दो विधानसभाओं पर फिलहाल पार्टी की एकता देखने को मिली है. इसमें एक इछावर विधानसभा है, तो दूसरी विधानसभा बुधनी है. बुधनी से खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में हैं. बता दें, ये बगावती सुर तब देखने को मिले, जब बीजेपी ने अपनी आखिरी, यानि पांचवी सूची जारी की थी.
क्या है सियासी समीकरण: दरअसल, अंग्रेजों के जमाने से राजनीतिक केंद्र रहा सीहोर जिला, हमेशा से चर्चा में बना रहता है. लेकिन वर्तमान की राजनीति में ये प्रदेश का सियासी केंद्र है और बीजेपी का गढ़ भी है. साल 2018 में बीजेपी ने यहां से चारों सीटें जीती थीं. इसमें बुधनी से शिवराज सिंह चौहान, सीहोर से सुदेश राय, इछावर से करण सिंह वर्मा, आष्टा से रघुनाथ सिंह मालवीय चुनाव जीते थे. लेकिन, इसबार पार्टी ने फेरबदल करते हुए एक साल पहले कांग्रेस छोड़कर आए गोपाल इंजीनियर को पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया और फिर वर्तमान विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय का टिकट काटकर उन्हें आष्टा से उम्मीदवार घोषित कर दिया. इसके बाद पार्टी में विरोध के स्वर मुखर हो गए. हालांकि, बीजेपी जिला अध्यक्ष रवि मालवीय ने फिलहाल हालातों पर पार्टी कंट्रोल और पारिवारिक मतभेद उभरने और उसे सुलझा लेने की बात ईटीवी भारतसे कही है. इसके पीछे उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान को क्रेडिट यानी श्रेय दिया है.
(कहां उपजा असंतोष और डैमेज कंट्रोल में CM शिवराज की भूमिका)
जब आष्टा विधानसभा में उपजा असंतोष: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में पनपे असंतोष ने पार्टी की माथे की चिंता की लकीरें बढ़ा दी थीं. आष्टा से गोपाल इंजीनियर के टिकट की घोषणा के बाद असंतोष के स्वर व्यक्त होने लगे. भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता बाहरी पार्टी से आए नेता को टिकट देने को लेकर विरोध में उतर आए और संगठन पर अनदेखी की बात कही. रघुनाथ सिंह मालवीय और सिंधिया समर्थक अजीत सिंह सहित भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश बगाना ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर ही पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने की बात कही, साथ ही नेताओं और कार्यकर्ताओं का अपमान बताया.
असंतोष नेताओं ने बीते रविवार को आष्टा में अलग-अलग जगह पर कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर उनकी राय भी जानी. इसमें इलाके के नेता कैलाश बगाना और उनके कार्यकर्ताओं की बैठक भी संपन्न हुई, जिसमें 700 से अधिक भाजपा कार्यकर्ता जुटे. इसके बाद दूसरी बैठक वर्तमान विधायक रघुनाथ मालवीय और उनके समर्थकों की हुई. इसमें करीबन 200 से 250 कार्यकर्ता मौजूद थे. इनमें कार्यकर्ताओं ने रघुनाथ मालवीय को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. साथ ही पार्टी संगठन से गोपाल इंजीनियर का विरोध करने की बात कही और प्रत्याशी पर पुनर्विचार करने को कहा था.
इसी बीच आष्टा के बीजेपी विधायक रघुनाथ मालवीय का दर्द भी छलक गया. उनके रोने का एक वीडियो भी वायरल हो गया. जिसमें कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए रोते नजर आ रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, "मैंने ईमानदारी से काम किया है. हमेशा कार्यकर्ताओं की सुनी, लेकिन फिर पार्टी ने मुझे छोड़कर गोपाल सिंह को भाजपा से टिकट दे दिया."