सीहोर। रेहटी तहसील स्थित सलकनपुर में विंध्य की पहाड़ियों में विराजी मां विजयासन देवी का मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भक्तों के लिए श्रद्धा का एक अदभुत स्थल है. पहाड़ों पर विराजमान विजयासन मां भक्तों की मनोकामना पूरी करती है.
बुदनी तहसील से 25 किलोमीटर और होशंगाबाद से 35 किलोमीटर दूरी पर विंध्याचल की हसीन वादियों में प्रकृति ने अपनी अनमोल छटा बिखेर रखी है, जहां देवीधाम सलकनपुर है. चारों ओर मनोहारी पर्वत श्रृंखलाएं हैं, जिनमें एक पर्वत पर मां विंध्यवासिनी विजयासेन देवी का भव्य मंदिर बना हुआ है. शारदीय और चैत्रीय नवरात्रि में मां की चौखट पर माथा टेकने दूरदराज से लाखों लोग आते हैं. हरियाली से भरे इस 800 फीट ऊंचे पर्वत पर अलौकिक सौंदर्य के बीच मां की सुंदर प्रतिमा के दर्शन, परिक्रमा, वंदना, स्तुति कर अपने मन की मुरादें पूरी कर पाते हैं.
ऐतिहासिक रूप से पौराणिक कथाओं के आधार पर महाभारत काल के पूर्व से इस विजयासन शक्तिपीठ की प्रसिद्धि रही है. इस संदर्भ में स्कंद पुराण के अवंति खंड के रेवा खंड में वर्णित नेमावर तीर्थ को नाभि क्षेत्र कहा गया है. उसके बाद जिस सिद्धेश्वर वैष्णवी देवी तीर्थ का उल्लेख है, वह विंध्य पर्वत पर विराजमान मां विजयासन देवी ही है.
भगवान श्रीकृष्ण की बहन की स्तुति और चर्चा विजया देवी के नाम से अनेक पुराणों में है, जिससे स्पष्ट है कि पौराणिक कथाओं के आधार पर नर्मदा क्षेत्रीय तीर्थ सलकनपुर में जो विजया शक्तिपीठ है, वह अतिप्राचीन और पौराणिक मान्यताओं में देवीधाम सलकनपुर के विजयासन शक्तिपीठ की स्वयंभू घोषणा को प्रमाणित करता है.