सतना :वेलेंटाइन वीक चल रहा है. इस मौके पर युवा अपने क्रश के सामने प्यार का इजहार कर रहे हैं. इश्क की संजीदगी दिखाने के लिए महंगे तोहफे दिए जा रहे हैं. खास आयोजन हो रहे हैं. मकसद सिर्फ एक है कि पार्टनर को अपनी मोहब्बत की गहराई दिखा सकें. ऐसा ही एक जोड़ा है सतना में. जिसके इश्क की शुरुआत तो काफी साधारण तरीके से हुई थी लेकिन वह परवान चढ़ा असाधारण तरीके से. और परवान भी खूब चढ़ा, इतना कि शादी के 55 साल बाद भी यदि पार्टनर न दिखे तो दोनों परेशान होने लगते हैं.
लव लेटर देना भी मुश्किल होता था :आपने अभी तक कई प्रेम कहानियां देखी होंगी लेकिन यह लव स्टोरी उस दौर की है, जब एक पैसे की कलम और दो पैसे का 25 पेज वाला लव लेटर था. तब घूंघट की आड़ से ही दिलबर का दीदार किया था. जमाने से छुपकर प्रेमी गली में आता था तो प्रेमिका भी घरवालों की नजर बचाकर बालकनी से उसे देखती थी. आते-जाते मिल जाएं तो दोनों के गाल शर्म से लाल हो जाते थे. परिवारवालों के डर से चोरी-चुपके भी लव लेटर देना बहुत कठिन था. किताबों में फूल रखकर जज्बात जताए जाते थे.
होश संभालते ही निभाई जिम्मेदारी :यह अनोखी प्रेम कहानी है सतना शहर के कृष्ण नगर निवासी होलाराम वाधवानी और उनकी पत्नी कमलादेवी वाधवानी की. होलाराम के मुताबिक, उनका जन्म 2 अगस्त 1945 को अविभाजित हिंदुस्तान में हुआ था. 1947 में आजादी के वक्त जब देश का बंटवारा हुआ तो उनके पिता परिवार समेत सतना आ बसे. 1948 में होलाराम मात्र 3 वर्ष की उम्र में पाकिस्तान के शख्खर जिले से सतना पहुंचे थे. पिता ने छोटा-मोटा कारोबार शुरू कर परिवार चलाया. होलाराम ने होश संभालते ही पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया.