सतना। जिले में त्योंधारी निवासी सुख राजा देवी जब 20 वर्ष के थे, तब उनके पति वंशराज सिंह बघेल 1965 में भारत पाक युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए, तब सरकार ने सुखराजा देवी को ₹1000 की नकद राशि दी साथ ही 10-12 साल बाद सतना के सिंधी कैंप में ईडब्ल्यूएस का क्वॉर्टर दिया गया. लेकिन उस मकान का आज तक पता नहीं दिया गया.
शहीद के परिजनों को नहीं मिला आज तक मकान का पट्टा
सुख राजा देवी का बेटा उस समय कृष्णपाल सिंह 2 वर्ष का था और उनकी बेटी करीब 6 वर्ष की थी. उस जमाने में जिंदगी को अकेले काटना बड़ा मुश्किल था, लेकिन शहीद की पत्नी ने अपना सफर बच्चों के सहारे काटा, मकान के पट्टे के लिए जिला कलेक्टर के दफ्तरों के कई बार चक्कर काटे, लेकिन सरकारें आई चली गईं, कितने कलेक्टर बदल गए और आज तक उस मकान का मालिकाना हक पट्टा नहीं मिला.
शहीद के परिवार लगा रहे सरकार से गुहार
जिले के मौहार ग्राम के निवासी रामपति सिंह के पति रामपाल सिंह परिहार 1965 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. उन्हें भी इसकी सूचना डाकिया के तार के माध्यम से प्राप्त हुई थी. जब पति शहीद हुए तो जिंदगी एक पहाड़ से लगने लगी और बच्चों के खातिर रामपति ने अपने आप को संभाला और आगे का सफर अकेले ही तय किया. उन्हें शासन के द्वारा एक मकान तो दिया गया, लेकिन उस मकान का पट्टा यानी मालिकाना हक आज तक उन्हें नहीं मिला. रामपति सिंह ने भी कई बार शासन प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन आज तक किसी ने उनकी एक न सुनी.