सतना। 'स्कूल चले हम', 'पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया' का स्लोगन लगाकर भले ही शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति का सपना देखा और दिखाया जा रहा है, पर हकीकत इससे बिल्कुल अलग है, कहीं संसाधनों का अभाव है तो कहीं जोखिम भरा सफर है, जबकि कई स्कूल ही डेंजर जोन में स्थापित हैं, जहां हर पल मौत मंडराती रहती है, इसके बावजूद नौनिहाल अपना भविष्य संवारने के लिए इन खतरों को नजरअंदाज कर देते हैं, सतना जिले के भटूरा गांव के सरकारी स्कूल की दीवारें ऐसे ही खतरों को दावत दे रही हैं, जिनमें माइनिंग ब्लास्ट की वजह से जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं.
स्कूल की दीवारों से झांकते खतरों के बीच भविष्य संवार रहे मासूम, प्रशासन मौन - भटूरा के सरकारी स्कूल
सतना जिले के भटूरा के सरकारी स्कूल से कुछ ही दूरी पर माइनिंग ब्लास्ट के चलते स्कूल की छत और दीवारों में दरारें पड़ गई हैं, इसके बावजूद बच्चे भविष्य संवारने के लिए रोजाना खतरों से टकरा रहे हैं. कई बार शिकायत के बाद भी प्रशासन के कानों पर जू नहीं रेंग रहा है.
स्कूल से कुछ ही दूरी पर प्रशासन की अनुमति से माइंस प्लांट संचालित किया जा रहा है, जिसमें रोजाना हैवी ब्लास्टिंग की जाती है, जिसकी वजह से स्कूल की छत और दीवारों में दरारें आ गई हैं. विद्यालय प्रबंधन ने इसकी सूचना कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को दी है, लेकिन इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. नौनिहलों के सिर पर मंडरा रहे खतरे की जानकारी होने के बावजूद शिक्षा विभाग मूक दर्शक बना हुआ है और प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है. इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी टीपी सिंह ने पूरे मामले पर कलेक्टर से बात कर जल्द कुछ समाधान निकालने का आश्वासन दिया है.
ऐसा नहीं है कि इस ब्लास्टिंग से मात्र स्कूल में समस्या हो, यहां के लोग भी इससे काफी परेशान हैं. बताया जाता है कि इतनी हैवी ब्लास्टिंग होती है कि पूरा का पूरा गांव थर्रा उठता है. यहां तक कि गांव के जितने भी घर हैं, उनमें दरारें पड़ गई हैं. देर रात होती ब्लास्टिंग से धरती हिलने लगती है और भूकंप जैसे हालात बन जाते हैं.