सतना। नगर निगम आयुक्त अमन वीर सिंह बैस ने बीते दिन फायर अधीक्षक को निलंबित कर दिया था. जिसके बाद 12 जनवरी को नगर निगम में एक बैठक आयोजित की गई थी, लेकिन उस बैठक में फायर अधीक्षक उपस्थित नहीं हुए. इस दौरान नगर निगम आयुक्त ने सहायक फायर ऑफिसर को फोन किया गया. लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला. इस लापरवाही के चलते फायर ऑफिसर को निलंबित कर दिया गया.
इस मामले पर सहायक फायर ऑफिसर आरपी सिंह परमार से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिस बैठक के बारे बात की जा रही है, उस समय मेरी तबीयत खराब थी. विभागाध्यक्ष को लिखित में जानकारी दी थी. उन्होंने बताया कि फायर मॉक ड्रिल दौरान आरपी सिंह परमार की गर्दन में मोच आ गई थी. जिसकी वजह से वे बैठक में शामिल नहीं पाए. इस संबंध दो दिन की छुट्टी पर थे.
लेकिन अब इस मामले में सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी नेता सुशील सिंह मुन्ना ने निगमायुक्त पर निलंबन की प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि नगर निगम भ्रष्टाचार से लिप्त है. लेकिन वर्षों से जमे अधिकारियों के ऊपर कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती. मुख्यमंत्री के सतना प्रस्तावित दौरे को लेकर फायर अधीक्षक ने उपकरणों की मांग करते हुए निगमायुक्त को पत्र लिखा था. जिसको लेकर निगमायुक्त नाखुश थे. लिहाजा फोन ना उठाने के बहाने अब निलंबन की कार्रवाई कर दी. ये तो निगम आयुक्त का तानाशाही रवैया है.
वहीं इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश सचिव मनीष तिवारी ने बताया कि नगर निगम में फायर अधीक्षक को निलंबन की प्रक्रिया पूरी तरीके से गलत है. नगर निगम स्मार्ट सिटी के अंतर्गत शहर भर में गुणवत्ता विहीन कार्य किए जा रहे हैं, और पूरे नगर निगम में भ्रष्टाचार हो रहा है. लेकिन उन अधिकारियों पर कभी कोई भी कार्रवाई नहीं की जाती. और फोन ना उठाने पर फायर अधीक्षक को निलंबित कर देना कहां से उचित है.