सतना। जिले के निवासी पद्मश्री बाबूलाल दहिया का एक अनोखा प्रयास सामने आया है. बाबूलाल दाहिया ने अपने घर में एक देसी म्यूजियम बनाया है. यहां पर उन्होंने प्राचीन और विलुप्त हो रहे कृषि उपकरणों के अलावा सालों पुरानी नायाब वस्तुओं का संग्रह कर रखा है. यह देसी म्यूजियम इतना खास है कि यहां पर आपको वर्षों पुरानी ढाई सौ से अधिक दुर्लभ वस्तुएं देखने को मिल जाएंगी.
सालों पुराने कृषि उपकरणों को संजो कर रखा: सतना जिले से तकरीबन 26 किलोमीटर दूर पिथौराबाद ग्राम निवासी बाबूलाल दहिया वह शख्स हैं, जिन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जा चुका है और मन की बात में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा इनकी सराहना की जा चुकी है. बाबूलाल दहिया ने अपने पास ढाई सौ से अधिक दुर्लभ धान की किस्मों के बीज, गेहूं और मोटे अनाज सहित सब्जियों के अनेकों किस्मों के बीज संजो कर रखे हुए हैं. एक बार फिर बाबूलाल दहिया की अनोखी पहल सामने आई है, जहां उन्होंने सालों पुराने विलुप्त हो चुके कृषि उपयंत्रों और नायाब वस्तुओं का खजाना अपने पास संजो कर रखा हुआ है.
बहुत पुराने खेती के उपकरण भी म्यूजियम में मौजूद:पूर्वजों के जमाने में लोग खेती किसानी कृषि के देसी उपकरणों से करते थे, लेकिन आज के इस टेक्नोलॉजी के दौर में ये कृषि यंत्र अब नहीं मिलते. इसके अलावा लोग प्राचीन काल के नायाब वस्तुओं को भी भूल चुके हैं. पद्मश्री बाबूलाल दहिया ने इन यादों को फिर से ताजा करने के लिए अपने घर में ही एक देसी म्यूजियम बनाया है. इसमें करीब ढाई सौ प्रकार के सालों पुराने कृषि उपयंत्र और नायाब वस्तुओं का संग्रह कर रखा गया है. इस म्यूजियम में उनके पास लकड़ी से बनी करीब 50 वस्तुएं, लौह शिल्प की 50, मिट्टी की 30, बांस शिल्प की 20, धातु शिल्प की 30, पत्थर शिल्प की 15, और चर्म शिल्प की 10 वस्तुएं हैं. किसानों द्वारा स्वतः निर्मित सुतली के करीब 10 वस्तुएं, कृषक महिलाओं के द्वारा निर्मित मिट्टी के 10 पात्र सहित करीब ढाई सौ अनोखी चीजें आपको एक ही छत के नीचे देखने को मिल जाएगी.