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रेप के बाद मासूम की हत्या करने वाले शिक्षक को होगी फांसी, तैयारी शुरू - जबलपुर

सतना जिला अदालत ने चार साल की मासूम की रेप के बाद नृशंस हत्या करने वाले शिक्षक को मौत की सजा दी है. दो मार्च को फांसी दी जानी है, जबलपुर केंद्रीय कारागार में फांसी देने का मुकम्मल इंतजाम है, लेकिन कमी है तो बस जल्लाद की.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

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Published : Feb 5, 2019, 1:51 PM IST

भोपाल। सतना जिला अदालत ने चार साल की मासूम की रेप के बाद नृशंस हत्या करने वाले शिक्षक को मौत की सजा दी है. दो मार्च को फांसी दी जानी है, जबलपुर केंद्रीय कारागार में फांसी देने का मुकम्मल इंतजाम है, लेकिन कमी है तो बस जल्लाद की.

यह स्पष्ट नहीं है कि 2 मार्च को सुबह पांच बजे जबलपुर सेंट्रल जेल में हत्यारे को फांसी पर लटका दिया जायेगा. जैसा कि कोर्ट ने आदेश दिया था, हालांकि, बच्ची से बलात्कार, रेप के बाद हत्या जैसे मामलों में मृत्युदंड मध्यप्रदेश में आम हो गया है. अप्रैल 2018 में लागू नए कानून के तहत 12 साल से कम उम्र की नाबालिग से बलात्कार के लिए मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है, लेकिन प्रदेश में फांसी देने के लिए जबलपुर सेंट्रल जेल में ही एकमात्र व्यवस्था है, जहां फांसी दी जा सकती है, लेकिन वहां कोई जल्लाद नहीं है.

ट्रायल कोर्ट ने साल 2018 में रेप व रेप के बाद हत्या के 21 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है. जबलपुर केंद्रीय कारागार में 1996 में आखिरी बार आरोपी को फांसी दी गयी थी, लेकिन मौजूदा हालात बिल्कुल जुदा हैं. जब जेल महानिदेशक संजय चौधरी ने पूछा गया कि इतने ज्यादा फांसी की सजा सुनाई जा रही है, ऐसे में क्या जल्लादों की भर्ती की जायेगी. जिस पर उन्होंने कहा कि राज्य में जल्लाद की कभी भी अधिकृत पोस्ट नहीं रही. 1974-75 में इंदौर सेंट्रल जेल में एक आरोपी को फांसी देने के लिए महाराष्ट्र से जल्लाद बुलाया गया था, जबकि जबलपुर सेंट्रल जेल में 1995 में फांसी देने के लिए उत्तर प्रदेश से जल्लाद हायर किया गया था, एक बाप-बेटे को फांसी दी गयी थी, जबकि 1996 में कांता प्रसाद को हत्या के आरोप में फांसी दी गयी थी, इनके लिए भी जल्लाद उत्तर प्रदेश से बुलाया गया था.

पहले भी जबलपुर केंद्रीय कारागार में मंगालाल बरेला को 8 अगस्त 2013 को फांसी देने के लिए यूपी से जल्लाद बुलाया गया था, लेकिन आखिरी वक्त पर नागरिक स्वतंत्रता संघ के कॉलिन गॉन्साल्विस आधी रात को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के घर पहुंचे, जहां उन्होंने कॉलिन के तर्कों पर विचार करते हुए फांसी रोकने के आदेश दिये थे.

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