सतना। रामपुर बघेलान की सीट सतना विधानसभा में किसी प्रयोगशाला से कम नहीं है. इस विधानसभा क्षेत्र के लोग विकास के लिए अलग-अलग राजनीतिक दलों पर भरोसा जाता चुके हैं लेकिन उनके हाथ विकास नहीं लगा. यहां जनता दल. बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी सभी दलों के प्रत्याशी कभी न कभी चुनाव जीते हैं लेकिन इस इलाके में विकास की गंगा कभी नहीं बही. फिलहाल यह सीट भारतीय जनता पार्टी के विक्रम सिंह के पास है. विक्रम सिंह ने 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के रामलखन पटेल को लगभग 15, 000 वोटों से हराया था.
BSP और BJP के बीच मुकाबला:2013 में भी इस विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के हर्ष सिंह चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे उन्होंने भी रामलखन पटेल को ही हराया था. सबसे गंभीर बात यह है कि भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस यहां पिछली बार तीसरी पोजीशन पर थी और 2013 में वह चौथे नंबर पर पहुंच गई थी. इसलिए यहां मुकाबला बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच में नजर आ रहा है. हालांकि बीते 5 सालों में कांग्रेस ने भी यहां कोशिश की है और अपना जन आधार मजबूत करने के लिए राम सिंह नाम के एक प्रत्याशी को इस बार चुनाव मैदान में उतर जा सकता है. इस विधानसभा में ठाकुर ब्राह्मण कोल जनजाति के लोगों के अलावा अनुसूचित जाति के लोगों का भी वोट प्रतिशत है. इसलिए यहां चुनाव परिणाम कभी बीएसपी के पक्ष में हो जाते हैं और कभी भारतीय जनता पार्टी के.
उद्योग और व्यापार:रामपुर बघेलान में दो बड़ी सीमेंट फैक्ट्रियां हैं. इन सीमेंट फैक्ट्री से रोज हजारों टन सीमेंट बनता है लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन सीमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले लोग स्थानीय नहीं है. इसमें ज्यादातर बाहर के लोग काम कर रहे हैं. स्थानीय लोगों को केवल छोटे-मोटे स्थानीय व्यापार ही मिल पाते हैं. बाकी जमीन के भीतर का खनिज फैक्ट्रियां इस्तेमाल कर रही हैं. स्थानीय लोगों को रोजगार के मुद्दे पर यहां अक्सर बड़े आंदोलन होते रहते हैं लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता.
खेती ही एकमात्र सहारा:सतना के दूसरे इलाकों की तरह यहां भी आम आदमी के पास खेती ही एकमात्र सहारा है. लेकिन यहां खेती बहुत कठिन है क्योंकि यहां जमीन में पानी नहीं है और जमीन पथरीली है. इसलिए लोगों की मांग है कि बरगी बांध की नहर यहां लाई जाए ताकि वह इस सूखी मिट्टी में कुछ अनाज उपजा सकें. ऐसा नहीं है कि यहां बारिश नहीं होती लेकिन बारिश का पानी संजोकर नहीं रखा जाता. अब सरकार ने यहां पर अमृत सरोवर योजना के तहत 75 तालाब बनाने की घोषणा की है. सरकार यदि सीमेंट निकलने वाली कंपनियों पर दबाव बनाएं तो वह भी यहां पर पिछड़ी हुई खेती क्यों सहारा देने के लिए कोई काम कर सकते हैं.