MP Seat Scan Amarpatan: अमरपाटन विधानसभा खरीदारी का बड़ा केंद्र, लेकिन बिजली और पानी की समस्या से जूझ रहे किसान
चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे सतना जिले की अमरपाटन विधानसभा सीट के बारे में. अमरपाटन विधानसभा खरीददारी का एक बड़ा केंद्र भी है. पढ़िए अमरपाटन विधानसभा सीट का समीकरण...
सतना।2018 के चुनाव में अमरपाटन विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के रामखेलावन पटेल जीत कर आए थे, उन्होंने कांग्रेस के राजेंद्र कुमार सिंह को लगभग 3000 वोटो से हराया था. हालांकि 2013 में रामखेलावन को राजेंद्र कुमार ने 12000 वोटों से हराया था. राजेंद्र कुमार सिंह इस इलाके में कांग्रेस से कई बार विधायक रहे हैं. फिलहाल रामखेलावन पटेल को शिवराज सरकार में अर्ध घुमक्कड़ जातियों का मंत्री पद भी मिला हुआ है.
अमरपाटन विधानसभा में मतदाताओं की संख्या
राजेंद्र के सामने रामखेलावन:अमरपाटन से 17 प्रत्याशी मैदान में हैं. कांग्रेस ने राजेंद्र कुमार सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं भाजपा ने रामखेलावन पटेल को प्रत्याशी घोषित किया है. बसपा की ओर से चंगेलाल कौल मैदान में हैं.
कांग्रेस नेता राहुल सिंह का दबदबा: लोगों का मानना है कि उनके मंत्री बन जाने से इस इलाके को कोई खास फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने इस इलाके के विकास को लेकर कोई बड़ी पहल नहीं की. इस बार भी मुख्य मुकाबला रामखेलावन और राजेंद्र प्रताप सिंह के बीच में ही होने की संभावना थी और उन्हीं को ही टिकट मिला है. इस इलाके में कांग्रेस नेता राहुल सिंह का भी अच्छा दबदबा है और उन्हें लोग यहां का नेता मानते हैं. इस इलाके में सांसद गणेश सिंह और सिद्धार्थ कुशवाहा का भी अच्छा जन आधार है. सतना की अमरपाटन विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या 236145 है. इसमें 123682 पुरुष मतदाता है और 112462 महिला मतदाता है. यहां एक थर्ड जेंडर भी है.
अमरपाटन विधानसभा की खासियत
आर्थिक गतिविधि:अमरपाटन इस इलाके का बाजार है और आसपास की बड़ी आबादी अमरपाटन से ही खरीददारी करती है, इसलिए स्थानीय स्तर पर यहां अच्छी आर्थिक गतिविधि होती है. हालांकि अमरपाटन के आसपास लोगों को खेती-बाड़ी से ही रोजगार मिलता है. इसलिए अमरपाटन में कृषि आधारित व्यापार ही रोजगार का एक जरिया है. अमरपाटन विधानसभा में कोई बड़ी फैक्ट्री नहीं है. सतना में सीमेंट बनाने के कई प्लांट हैं लेकिन इस विधानसभा में कोई भी प्लांट नहीं है.
अमरपाटन विधानसभा सीट का 2018 का रिजल्ट
पानी की कमी:सतना जिले में अपनी सबसे बड़ा मुद्दा पानी की कमी है. यहां भूमिगत जल की भारी कमी है और सरकार की सिंचाई योजनाओं का अब तक यहां ढंग से पालन नहीं हो पाया है. इस विधानसभा में भी लोग खेती के लिए पानी की कमी से जूझते हैं. इसलिए यहां ऐसी फसलों का चुनाव किया जाता है जिनमें कम पानी लगे. लेकिन पानी की कमी की वजह से इन फसलों में उत्पादन में काम मिलता है. यहां पर ज्यादातर लोग गेहूं, मसूर, चना जैसी फसलों का उत्पादन करते हैं इन फसलों में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती. वहीं गर्मी के दिनों में इलाकों में सूखा पड़ता है, सूखे की वजह से लोगों को काम की तलाश में पलायन करना पड़ता है.
शिक्षा और रोजगार के प्रयास:अमरपाटन विधानसभा सतना की दूसरी विधानसभाओं के अपेक्षा थोड़ी विकसित है, यहां पर मंडी है जहां किसानों को अपना अनाज बेचने की सुविधा है और इस मंडी में ठीक व्यापार भी होता है. वहीं यहां एक सरकारी महाविद्यालय है और लंबे समय से इस इलाके में लोगों को शिक्षित कर रहा है. वहीं यहां गडरिया भी रहते थे इसलिए इस इलाके में चरखे से सूत काटने का एक व्यापार भी शुरू किया गया था. इसमें लोगों को कंबल बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन यह सरकारी प्रयास अब पूरी तरह से खत्म हो गया है और अब लोग इस संस्थान में केवल फोटो खिंचवाने जाते हैं. इसके अलावा यहां कोई रोजगार से सीधे जोड़ने वाला संस्थान नहीं खोला गया. मतलब न तो यहां पर आईटीआई हैं और ना ही पॉलिटेक्निक या इंजीनियरिंग कॉलेज.
बिजली की समस्या:अमरपाटन विधानसभा में खेती ही एकमात्र लोगों के रोजगार का जरिया है. लेकिन खेती के लिए बिजली और पानी दोनों की जरूरत होती है. 2018 के बाद अमरपाटन में बिजली की समस्या खड़ी होने लगी थी और कई इलाकों में एक बार बिजली बंद होती है तो कई दिनों तक नहीं आती. वहीं इस इलाके में बीते कई दिनों से ट्रांसफार्मर को लेकर भी किसान आंदोलन कर रहे हैं. लोगों का आरोप है कि जो ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे हैं उनकी गुणवत्ता सही नहीं है इसलिए इनसे मिलने वाली बिजली की वजह से किसानों की मोटर जल जाती हैं और उन्हें पूरे वोल्टेज के साथ पावर नहीं मिल पाता. इसका नुकसान खेती में उठाना पड़ता है और एक बार ट्रांसफार्मर जल जाए तो कई दिनों तक ट्रांसफार्मर नहीं मिलता.
नदी और नहरों का पानी नहीं मिल रहा:सरकार जल जीवन मिशन की योजनाएं चल रही है इसके तहत हर गांव तक पीने का पानी पाइप के जरिए पहुंचाया जा रहा है. लेकिन जिन इलाकों में नदी और नहरों का पानी नहीं पहुंच पाया है वहां अभी भी इस योजना के पूरे होने पर कई सवाल खड़े हुए हैं. सरकार के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट में अरबों रुपया खर्च हो रहा है, लेकिन अमरपाटन जैसे इलाकों में अभी भी पीने का पानी एक बड़ी समस्या बना हुआ है. लेकिन बदकिस्मती से आम आदमी की समस्याएं चुनाव में मुद्दा नहीं होती और जो बातें चुनाव में मुद्दा होती हैं उनका आम आदमी से कोई सरोकार नहीं होता.