MP BJP ने सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार कर सभी को चौंकाया, समझिए- इन प्रत्याशियों को किन सवालों से जूझना पड़ेगा
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट भी जारी कर दी है. इसमें सतना, सीधी व मुरैना के सांसदों को उतारकर बीजेपी ने सभी को चौका दिया है. इन सभी सीटों पर बेरोजगारी व स्वास्थ्य सुविधाएं बड़ा मुद्दा हैं. वर्तमान सांसदों को मतदाताओं के इन सवालों के जवाब तलाशने पड़ेंगे. क्योंकि कांग्रेस इन उम्मीदवारों से सवाल करेगी कि बीते 10 साल के सांसद के कार्यकाल में क्षेत्र के लिए इन मुद्दों पर क्या काम किया.
MP BJP ने वर्तमान सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार कर सभी को चौंकाया
सतना/मुरैना/दतिया।विंध्य क्षेत्र में सतना से सांसद गणेश सिंह को सतना विधानसभा सीट और सीधी की सांसद रीती पाठक को सीधी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. सतना विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस पार्टी से सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा उर्फ डब्बू यहां से विधायक है. डब्बू ने साल 2018 के चुनाव में सतना सीट से तीन बार के विधायक रहे शंकर लाल तिवारी को पटकनी देकर जीत दर्ज की थी. अब बीजेपी ने यहां से सतना से चार बार के सांसद गणेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है. सतना में प्रमुख मुद्दा रोजगारी का है.
सतना में बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाएं मुद्दा :सतना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सीमेंट के बड़े उद्योग और इंडस्ट्रियल उद्योग भी हैं. लेकिन यहां युवा आज भी रोजगार के लिए बाहर जाते हैं. लोकल युवाओं को यहां पर रोजगार नहीं दिया गया. इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सतना जिला बहुत पीछे है. अगर कोई बड़ी घटना या दुर्घटना हो जाती है तो इलाज के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. वहीं, मैहर विधानसभा क्षेत्र में तीन पंचवर्षीय से विंध्य प्रदेश की मांग करने वाले बीजेपी के विधायक नारायण त्रिपाठी विधायक है. उन्होंने सरकार के खिलाफ कई बार आवाज़ उठाई हैं. बिजली, पानी, स्वास्थ्य, रोजगार को लेकर हमेशा अपनी आवाज बुलंद की है. लेकिन बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया है. यहां से बीजेपी ने श्रीकांत चतुर्वेदी को प्रत्याशी बनाया है.
मैहर में भी बेरोजगारी बड़ा मुद्दा :बता दें कि श्रीकांत चतुर्वेदी वर्ष 2018 में कांग्रेस पार्टी से मैहर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार थे, जहां उन्हें भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने पटकनी देते हुए जीत दर्ज की थी. इसके बाद श्रीकांत चतुर्वेदी ने कांग्रेस को छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. श्रीकांत चतुर्वेदी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के माने जाते हैं. इस क्षेत्र में भी विकास एक प्रमुख मुद्दा माना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में बड़े सीमेंट उद्योग प्लांट है लेकिन रोजगार के नाम पर युवाओं को कुछ नहीं मिला है. मैहर में स्वास्थ्य की सुविधाएं भी नहीं हैं. दतिया की सेंवड़ा में तिकोना संघर्ष :दतिया जिले की सेंवड़ा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने पूर्व विधायक प्रदीप अग्रवाल पर भरोसा जताया है. प्रदीप अग्रवाल 2013 से 2018 तक यहां से विधायक रहे हैं. प्रदीप अग्रवाल का परिवार जनसंघ से लेकर आज तक सक्रिय है. दतिया के सर्राफा परिवार से ताल्लुकात रखने वाले प्रदीप अग्रवाल क्षेत्र में सौम्य एवं सरल छवि के लिए जाने जाते हैं. 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदीप को टिकट न देकर राधेलाल बघेल को प्रत्याशी बनाया था. टिकट न मिलने के बाद भी प्रदीप क्षेत्र में अपनी सक्रियता बनाए रहे. सेवडा विधानसभा क्षेत्र में विधायक घनश्याम सिंह का टिकट लगभग पक्का माना जा रहा है. पहली बार चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने संजय दुबे को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. वहीं बीएसपी से लाखन सिंह यादव का अभी तक टिकट पक्का माना जा रहा है. इस बार सेवड़ा में त्रिकोणीय संघर्ष माना जा रहा है.
तोमर के नाम ने चौंकाया :बीजेपी ने मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम की घोषणा कर सबको हैरान कर दिया है. ये नाम राजनीतिक विश्लेषकों की कल्पना से परे था. किसी के दिमाग मे यह बात नहीं थी कि केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर केंद्र की राजनीति छोड़कर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं. इससे बीजेपी ने एक और बात साफ कर दी है कि वह इस बार किसी भी सीट पर रिस्क लेने के मूड में नहीं है. उसकी पहली और आखिरी प्राथमिकता सिर्फ विनर कैंडिडेट ही है.