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किसान के बेटे ने भाला फेंक प्रतियोगिता में जीता रजत पदक

सतना जिले के माधवगढ़ के इटौरा निवासी किसान के बेटे ने भाला फेंक प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल देशभर में जिले का नाम रोशन किया है.

Satna
हिमांशु मिश्रा ने जीता रजत पदक

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Published : Feb 15, 2021, 4:31 PM IST

सतना। जिले में एक किसान के बेटे ने भाला फेंक प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल कर देशभर में सतना जिले का नाम रोशन किया है. 15 साल की उम्र में किसान के बेटे ने आज रजत पदक हासिल कर पूरे परिवार का सर फक्र से ऊंचा कर दिया है. इस सम्मान के प्रति किसान के परिवार में खुशियों का माहौल छाया हुआ है.

जिले के माधवगढ़ कस्बे के इटौरा ग्राम निवासी किसान के बेटा हिमांशु मिश्रा उम्र 15 वर्ष कक्षा 10 वीं का छात्र हैं, हिमांशु ने 9 फरवरी को गुवाहाटी के इंदिरा गांधी एथलेटिक्स स्टेडियम में नेशनल भाला प्रतियोगिता हिस्सा लिया, जिसमें हिमांशु ने 57.20 मीटर भाला फेंका, और देश के अंदर दूसरा स्थान प्राप्त कर रजत पदक हासिल किया. हिमांशु मिश्रा के पिता विनय मिश्रा एक छोटे से किसान है, और उनके बेटी की इस उपलब्धि ने उनका सर फक्र से ऊंचा कर दिया है.

घर में जिम तैयार कर देते बच्चों को प्रशिक्षण

हिमांशु इसके अलावा अपने घर में एक देसी जिम भी तैयार किया है, जिसमें वे खुद के साथ आसपास के ग्रामीण के बच्चों को भी देसी तरीके से जिम करने का प्रशिक्षण निशुल्क देता है. इस बारे में जब हिमांशु मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही खेलकूद का शौक था, 4 सालों पहले इस भाला फेंक खेल की शुरुआत की, जिसके बाद धीरे-धीरे हिमांशु ब्लॉक स्तर पर खेल को खेला, और इसके बाद जिला स्तर, संभाग स्तर के बाद प्रदेश स्तर तक इस खेल में पहुंचा और अब राष्ट्रीय स्तर पर असम गुवाहाटी में हुए भाला फेंक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया.

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हिमांशु के पिता ने बताया कि हिमांशु का बचपन से ही खेलकूद के प्रति लगाओ रहता था, लेकिन हमारी पारिवारिक स्थिति सही ना होने के कारण हम उसे खेल खेलने से मना करते थे, उसकी लगन और चाहत को देखकर उसके पिता सहित उसके पूरे परिवार ने उसको सहयोग करना शुरू कर दिया. हिमांशु पिता को सरकार से अपने बेटे के लिए मदद की आस है. वहीं हिमांशु के स्कूल के प्राचार्य ने भी उसकी प्रशंसा की है और उन्होंने यह कहा कि हिमांशु आज देश के अंदर जिले का नाम रोशन किया है, निश्चित रूप से यह एक बड़ी उपलब्धि है, और इससे दूसरे बच्चों को भी एक बड़ी प्रेरणा मिलेंगी.

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