सतना। भारतीय सेना ने आज ही के दिन 20 साल पहले भारत-पाकिस्तान युद्ध में बड़ी जीत हासिल की थी. भारतीय सेना ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे और वहां के सैकड़ों जवानों को मार गिराया था. 1999 में आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने करगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था. करगिल युद्ध के दौरान मध्यप्रदेश के सतना जिले के जांबाजों ने भी दुश्मनों के नापाक इरादों को नेस्तोनाबूद किया था. यही वजह है कि सतना के चूंद गांव को शहीदों के गांव के नाम से भी जाना जाता है और इस गांव का बच्चा-बच्चा सेना में जाने का शौक रखता है.
चूंद गांव की मिट्टी में पैदा हुए जांबाजों ने करगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के दांत खट्टे किये थे और देश के लिए अपने प्राण नयोछावर कर दिए थे. करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिक समर बहादुर सिंह, कन्हैया लाल सिंह, बाबूलाल सिंह के जज्बे की कहानी आज भी गांव के लोग सुनाते हैं.
करगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों को खदेड़ते हुए चूंद गांव के 3 जवान भी शहीद हो गए थे. 3 हजार की आबादी वाले इस गांव में कुछ ऐसे परिवार भी हैं, जिनके पांच बेटों में से तीन सेना में हैं और गांव का बच्चा-बच्चा सेना में जाने का सपना संजोया है.
इस गांव के बच्चों का एक ही लक्ष्य है सेना में जाना और देश की सेवा करना. करगिल युद्ध के दौरान गांव के दो सगे भाईयों ने शहादत दी थी, जिसके बाद उनके बेटे भी सेना में भर्ती होकर सियाचिन में पदस्थ होकर देश की सेवा कर रहे हैं. खास बात ये है कि गांव से 250 से ज्यादा जवान देश की सेवा में और इससे भी ज्यादा सेवानिवृत हो चुके हैं.
समय के साथ भले ही गांव का नाम चंद्रपुर कर दिया गया, लेकिन लोग गांव की पहचान चूंद गांव से रखते हैं. देश को जब-जब जरूरत पड़ी तब-तब सतना जिले के बेटे उठ खड़े हुए. करगिल विजय ऑपरेशन के दौरान देश के लिए शहादत देने वाले जूंद गांव के वीरों को ईटीवी भारत भी नमन करता है.