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बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी पंचतत्व में विलीन

पूर्व राज्यमंत्री और रैगांव विधानसभा से बीजेपी विधायक जुगुल किशोर बागरी का उनके गृह ग्राम वसुधा गोपालपुर में दाह संस्कार किया गया. यहां कोरोना के पूरे प्रोटोकॉल और राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया.

विधायक जुगल किशोर बागरी
विधायक जुगल किशोर बागरी

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Published : May 11, 2021, 1:40 PM IST

Updated : May 11, 2021, 3:08 PM IST

सतना। पूर्व राज्यमंत्री और रैगांव विधानसभा से बीजेपी विधायक जुगुल किशोर बागरी का पार्थिव शरीर आज सुबह भोपाल से सतना पहुंचा. यहां उनके गृह गांव वसुधा गोपालपुर में उनका दाह संस्कार किया गया. कोरोना के पूरे प्रोटोकॉल और राजकीय सम्मान के साथ विधायक ता अंतिम संस्कार किया. इस दौरान प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरिश गौतम, सांसद गणेश सिंह, रामपुर विधायक विक्रम सिंह, कलेक्टर अजय कटेसरिया, एसपी धर्मवीर सिंह सहित अन्य बीजेपी नेता मौजूद रहे.

विधायक जुगल किशोर बागरी

29 अप्रैल को खराब हुई थी तबीयत
आपको बता दें कि विधायक जुगुल किशोर की तबीयत 29 अप्रैल गुरुवार की रात्रि को खराब हो गई थी. जिसके बाद सतना के निजी बिरला अस्पताल में उन्हें उपचार के लिए भर्ती किया गया था, खबर मिलते ही जिला कलेक्टर और एसपी अस्पताल पहुंच गए थे. अस्पताल में उन्हें इमरजेंसी वार्ड में रख कर जांच की गई, सीटी स्कैन में उनके फेफड़ों में थोड़ा संक्रमण पाया गया था. इसके अलावा शुगर और सोडियम लेवल में भी कमी दर्ज हुई की गई थी.

हृदयाघात से हुआ था निधन
विधायक की तबीयत खराब होने की जानकारी मिलने पर सतना सांसद गणेश सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी भी 30 अप्रैल शुक्रवार को सुबह अस्पताल पहुंचे थे. बुजुर्ग विधायक पूर्व से भी अस्वस्थ थे. लिहाजा एहतियात के मद्देनजर उन्हें शुक्रवार सुबह सतना से भोपाल के चिरायु अस्पताल रवाना कर दिया गया. लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एम्बुलेंस से चिरायु अस्पताल भेजे गए. 10 मई की शाम उनका ह्रदय घात की वजह से दुःखद निधन हो गया.


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जानें कितनी बार रह चुके हैं विधायक
बता दें कि विधायक जुगुल किशोर बागरी पांचवीं बार भाजपा से विधायक बने हैं. उन्होंने 1993 में पहली, 1998 में दूसरी, 2003 में तीसरी, 2008 में लगातार चौथी बार विधायक बनकर इतिहास रचा था. हालांकि 2013 में बढ़ती उम्र को देखते हुए पार्टी ने उनकी जगह बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट दिया था, लेकिन बसपा की उषा चौधरी से पुष्पराज हार गए थे. इसके बाद 2018 में पांचवी बार विधायक बने. वे 2003 में उमा भारती की सरकार में कैविनेट मंत्री थे, लेकिन एक लोकायुक्त के प्रकरण के कारण मंत्री पद गवांना पड़ा था.

Last Updated : May 11, 2021, 3:08 PM IST

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