सागर।उद्घाटन के मौके पर मुख्य अतिथि ओलंपिक खिलाड़ी अशोक कुमार ध्यानचंद ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मुझे मेरे घर से खेलने के लिए अनुमति ना होने के बावजूद मेरे अंदर ओलंपियन बनने की चाहत थी. मैंने हॉकी ऑब्जर्व करके बड़े खिलाड़ियों को देखकर सीखा. बीकॉम के फाइनल ईयर का एग्जाम छोड़कर कलकत्ता क्लब का प्रस्ताव स्वीकार किया. उसी निर्णय के परिणाम स्वरूप मैं आपके समक्ष उपस्थित हूं. आप सभी भी उसी ऊर्जा के साथ खेलें कि भविष्य में आप भी अपने खेल से देश के लिए मेडल लेकर आएं. खेल में कोई भी जीते-हारे, कोई भी टीम किसी से कमज़ोर नहीं है.
भारतीय परंपरा से जुड़ा खेल है खो-खो :कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि आज यहां 69 विश्वविद्यालयों की छात्रायें खेलने आई हैं. ये महिला सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है. उन्होंने कहा कि अशोक कुमार ध्यानचंद को यहां आमंत्रित करने का उद्देश्य यह है कि आपको एक संदेश और प्रेरणा मिले और आप जान सकें कि खिलाड़ी कैसे होते हैं और विषम परिस्थितियों में भी क्या-क्या हासिल कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि खो-खो भारतीय परंपरा और संस्कृति से जुड़ा हुआ खेल है. आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा की बात की जा रही है. अध्ययन के साथ खेल का भी जुड़ाव है. क्योंकि यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है. खेल के माध्यम से हम स्वास्थ्य के साथ साथ भारतीय परंपरा को भी मजबूती प्रदान कर रहे हैं