सागर। "मूकं करोति वचलम, पंगुम लंघायते गिरीम, यतकृपा तमहां वन्दे परमानंद माधवम" ऋग्वेद का ये श्लोक आमतौर पर सुनने और पढ़ने मिलता है. श्लोक के अर्थ पर जाएं तो भावार्थ इस तरह कि "परमेश्वर की कृपा से गूंगा बोलने लगता और लंगड़ा पहाड़ चढ़ जाता है. ऐसा ही कुछ 65 साल के बुजुर्ग रामदास के साथ हुआ है. रामदास लकवाग्रस्त हैं और वह ठीक से चल नहीं पाते हैं, लेकिन उनका करीला माता पर अटूट आस्था है. पिछले दिनों जब बुजुर्ग रामदास की तबीयत बिगड़ी, तो उन्होंने करीला माता से मनोकामना की और तबीयत ठीक होने पर घर से करीला माता मंदिर तक पैदल जाने की बात कही. बुजुर्ग रामदास बीमारी से ठीक हुए और अब मई की गर्मी में पैदल चलकर करीला धाम जा रहे हैं. रामदास का मानना है कि अगर आज वो जीवित हैं, तो करीला माता की कृपा से जीवित हैं इसीलिए उनका आभार जताने जा रहे हैं.
करीला माता के प्रति अटूट आस्था:सागर जिले के रेहली विकासखंड के मोठार गांव के 65 साल के रामदास लकवाग्रस्त हैं. उम्र और मौसम के बदलाव के चलते पिछले महीने बीमार पड़ गए थे. करीला माता में अटूट आस्था रखने वाले रामदास ने माता से मनोकामना मांगी थी कि वह ठीक हो जाएंगे तो पैदल चलकर दर्शन करने आएंगे. माता से मनोकामना मांगकर उन्होंने मेडिकल से दवा मंगाकर खाली और कुछ दिन बाद उनकी तबीयत ठीक हो गई. बुजुर्ग रामदास का मानना है कि माता की कृपा से उनकी सेहत में सुधार हुआ है और आज उनकी कृपा से चलने-फिरने लायक हुए हैं.